News

Supreme Court expressed strong displeasure over delay implementation immediate free treatment of injured people in road accidents ann


Supreme Court: देश में सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के तुरंत मुफ्त इलाज की योजना लागू होने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. देश की सर्वोच्च कोर्ट ने सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव को 28 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं. जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा कि जब ऊंचे अधिकारियों को समन भेजा जाता है, तभी वह कुछ करना शुरू करते हैं.

किस आदेश का पालन न होने से नाराज हैं सुप्रीम कोर्ट के जज?
दरअसल, 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश दिया था. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को शुरुआती घंटे में कैशलेस इलाज उपलब्ध करवाने के लिए नीति बनाए. कोर्ट ने सरकार को ऐसा करने के लिए 14 मार्च तक का समय भी दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का अधिकार एक अनमोल अधिकार है. उसकी रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-162 के तहत भी केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ‘गोल्डन आवर’ के दौरान दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस इलाज उपलब्ध करवाने के लिए नीति बनाए.

क्या है गोल्डन आवर?
गंभीर चोट के बाद शुरुआती पहले घंटे को गोल्डन आवर यानी स्वर्णिम घंटा कहा जाता है. इस दौरान इलाज मिलने पर घायल की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटना के तुरंत बाद के समय में घायल व्यक्ति का परिवार या उसका कोई दूसरा करीबी साथ नहीं होता है. इस दौरान हॉस्पिटल भी कभी पुलिस के आने का इंतजार करता है तो कभी पैसों के भुगतान को लेकर संदेह के चलते इलाज में टालमटोल करता है.

ये भी पढ़ें:

Exclusive: 26/11 हमले से पहले तहव्वुर राणा ने की थी दिल्ली-यूपी समेत इन राज्यों में रेकी, सामने आया पूरा प्लान

 



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *