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किसान नेता राकेश टिकैत और कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा के कथित देश विरोधी बयानों के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से मना कर दिया है. याचिकाकर्ता ने इन बयानों को भड़काऊ और देश विरोधी बताते हुए कहा कि दोनों नेताओं ने भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति होने की बात कही. कोर्ट ने हालांकि स्पष्ट किया कि नफरत फैलाने वाले बयानों को लेकर कई याचिकाएं पहले से लंबित हैं, और यह विशेष मामला सुनवाई के लायक नहीं है.
हिंदू सेना समिति और उसके अध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि राकेश टिकैत ने इस साल अगस्त में 2021 के लाल किले में किसानों के घुसने की घटना का जिक्र किया. टिकैत ने कहा कि किसानों को बांग्लादेश जैसी स्थिति में संसद में घुसना चाहिए था ताकि मामला उसी समय सुलझ जाता. उन्होंने आगे यह भी बयान दिया कि जो पहले नहीं हुआ, वह आगे हो सकता है, जिससे याचिकाकर्ताओं को आपत्ति है.
सज्जन सिंह वर्मा का विवादित बयान
याचिका में यह भी कहा गया कि मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने अगस्त में बयान दिया कि भारत भी श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे हालात से गुजर सकता है. वर्मा के मुताबिक, लोग प्रधानमंत्री आवास में घुस सकते हैं. याचिकाकर्ता ने इसे भड़काऊ बताते हुए कहा कि ऐसे बयान देश के खिलाफ उकसाने का काम करते हैं, और इन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है.
सुप्रीम कोर्ट का तर्क: हेट स्पीच से अलग मामला
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील को सुनने के बाद कहा कि गलतबयानी करना या किसी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना, हेट स्पीच के दायरे में नहीं आता. कोर्ट ने यह भी कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषणों पर पहले से ही कई याचिकाएं लंबित हैं, इसलिए इस विशेष मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करना उचित नहीं है.
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