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Supreme Court decision on UP Madrasa act Jamiat Ulema Hind welcome on Decision in Aligarh ann


Aligarh News: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड की संवैधानिकता बरकरार रखने के पक्ष में मंगलवार फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अलीगढ़ के कई जगहों पर जश्न का माहौल देखा गया. मदरसों के छात्रों और शिक्षकों ने एक-दूसरे को बधाई दी और मिठाइयां बांटी गई. जमीयत उलेमा हिंद के नेताओं ने भी लोगों से अपील की कि इस खुशी के मौके पर वे संयम बरतें और कोर्ट के फैसले का सम्मान करें. 

उन्होंने कहा कि यह समय खुशियां मनाने का है, लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम कोर्ट के आदेश का पालन करें और किसी भी तरह के विवाद से दूर रहें. मदरसे की पढ़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने सरकार और मुस्लिम संगठनों के बीच एक बार फिर संवाद के रास्ते खोले हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार और अल्पसंख्यक संगठनों के बीच एक बेहतर संवाद होना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के विवाद से बचा जा सके.

‘फैसले से मुस्लिम समुदाय में गया सकारात्मक संदेश’ 
कोर्ट ने यह भी कहा कि मदरसे भी यह सुनिश्चित करें कि वहां पढ़ाई का स्तर अच्छा हो और आधुनिक शिक्षा का समावेश भी हो. इस फैसले के बाद मुस्लिम समुदाय में एक सकारात्मक संदेश गया है. कई समाजसेवियों और शिक्षाविदों ने इसे एक अच्छी शुरुआत के रूप में देखा है. उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि मदरसे भी अपनी शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाएं और आधुनिक विषयों को भी शामिल करें.

मौलाना मुफ्ती मोहम्मद अकबर काजमी ने कहा कि, जमीयत उलेमा हिंद के वह सदर है फिलहाल जो फैसला है उसको लेकर मुस्लिम समुदाय में खुशी का माहौल है, यह फैसला उन लोगों के लिए मील का पत्थर है जो शिक्षा से दूर होने के कगार पर पहुंच चुके थे लेकिन अब शिक्षा की दहलीज लोग पहुंचेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने मदरसे से संबंधित एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. इस फैसले से मदरसे में पढ़ाई जारी रखने का आदेश हुआ है. लंबे समय से यह मामला अदालत में लंबित था, जिसमें सरकार की तरफ से कुछ संशय और मुद्दे थे.

इस मुद्दे पर पहले हाईकोर्ट ने सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें यह माना गया था कि मदरसों में जो शिक्षा दी जा रही है, वह आधुनिक शिक्षा प्रणाली के मानकों पर खरी नहीं उतरती. इसके चलते मदरसे में पढ़ाई को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ था और मदरसे के विद्यार्थियों व समर्थकों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. हाईकोर्ट के इस फैसले से बहुत से लोग नाराज थे और उन्होंने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.

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