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Sukma IED Blast Village shaken by Naxalites two women seriously injured ann


Sukma IED Blast: छत्तीसगढ़ में सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित भीमापुरम गांव में एक ग्रामीण के घर में आईईडी ब्लास्ट होने से पूरा गांव दहल गया ,इस आईईडी ब्लास्ट की घटना में  दो महिला बुरी तरह से घायल हो गए, ब्लास्ट इतना जबरदस्त था कि एक महिला का दाहिना पैर उड़ गया, जबकि दूसरी महिला भी गंभीर रूप से घायल हो गई.

दरअसल नक्सलियों ने इस घर में आईईडी बम छिपा रखा था, रविवार को यह आईईडी अचानक ब्लास्ट हो गया, जिसकी चपेट में घर में मौजूद दो महिलाएं आ गई, गंभीर रूप से घायल महिलाओं का इलाज ग्रामीणों द्वारा ही किया जा रहा है, घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से अब तक यहां फोर्स नहीं पहुंच सकी है और ना ही कोई स्वास्थ्य सुविधा इस गांव तक पहुंच सकी है, ऐसे में इन महिलाओं की हालत नाजुक बनी हुई है.

अब तक नहीं पहुंच पाई है कोई मदद
सुकमा एसपी किरण चव्हाण का कहना है कि जगरगुंडा से भीमापुरम गांव करीब 10 किलोमीटर अंदर है और पहुंच विहीन इलाका है, हालांकि जवानों की टीम को यहां पहुंचने के निर्देश दिए हैं और जल्द से जल्द इन घायल महिलाओं तक इलाज पहुंचाने की कोशिश जारी है ,फिलहाल अब तक महिलाओं तक कोई मदद नहीं पहुंच पाई है. इधर  इस घटना से पूरा गांव दहल गया है, बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए एक ग्रामीण के घर  में  आईईडी बम छिपा रखा था और अचानक यह आईईडी ब्लास्ट हो गया.

गांव तक नहीं पहुंच सकी एंबुलेंस की मदद
सुकमा पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक नक्सलियों ने आने वाले दिनों में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के नियत से भीमापुरम गांव में एक ग्रामीण के घर में आईईडी बम छिपा रखा था, लेकिन इसका उपयोग नक्सली कर पाते इससे पहले ही यह हादसा हो गया, बताया जा रहा है कि ब्लास्ट इतना जबरदस्त था, पूरे गांव के लोग अपने घरों से बाहर आ गए, इसके बाद इस घर से दोनों घायल महिलाओं को बाहर निकाला गया और जानकारी मिली है कि झाड़फूक के जरिए महिलाओं का इलाज किया जा रहा है.

इस गांव तक मेडिकल सुविधा नहीं होने की वजह से अब तक उन्हें कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाई है,  दुर्भाग्यवश एक महिला का पैर आईईडी की चपेट में आ गया और महिला का पैर  पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. इस घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है.

40 सालों से नक्सलवाद से जूझ रहे ग्रामीण
दरअसल नक्सल प्रभावित गांवों में रहने वाले ग्रामीणों के लिए एक तरफ कुआं तो एक तरफ खाई जैसी स्थिति है, ग्रामीणों का कहना है कि ना चाहकर भी नक्सलियों का ग्रामीणों को साथ देना पड़ता है, इसके बाद जवान नक्सल सहयोगी बताकर उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं या मुठभेड़ में मार गिराते हैं ,वहीं दूसरी तरफ जवानों का साथ देने से नक्सली पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाकर जन अदालत में ग्रामीण की हत्या कर देते हैं.

नक्सलियों ने गांव को  लिया है अपने कब्जे में
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि जानकारी मिलने के बाद जवानों की एक टीम को तैयार किया गया है लेकिन जगरगुंडा से भीमापुरम गांव की दूरी 10 किलोमीटर है और घने जंगल और पहाड़ी के बीच बसे इस गांव तक पहुंचना काफी मुश्किल है, नक्सलियों ने जगह-जगह आईईडी प्लांट करने के साथ ही गांव को अपने कब्जे में लिया है, इस वजह से अब तक  घायल महिलाओं तक कोई मेडिकल सुविधा नहीं पहुंच पाई है.

ग्रामीणों को जबरन धकेल रहे हैं मौत के मुंह में 
एसपी ने कहा कि सोमवार की तड़के सुबह इन महिलाओं को इलाज मिले इसके लिए जगरगुंडा कैंप से जवानों की एक टीम को इस गांव के लिए रवाना किया जाएगा ताकि घायल ग्रामीण महिलाओं को इलाज मिल सके और कोशिश की जाएगी कि उन्हें सुकमा जिला अस्पताल लाने के लिए कुछ व्यवस्था बनाया जा सके, एसपी ने आगे कहा कि नक्सली अपनी क्रूरता का परिचय देते हुए इस तरह से भोले भाले ग्रामीणों को जबरन मौत के मुंह में धकेल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि नक्सलियों ने आईईडी से ग्रामीणों का घायल होना और मौत हो जाना यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी नक्सलियों के इस कायराना करतूत से कई निर्दोष ग्रामीणों की जान चली गई है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए है.

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