State Bank Has Not Yet Shared The Details Of Encashed Electoral Bonds With The Election Commission. – सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा समाप्त होने पर SBI पोल बांड का विवरण जमा करने में विफल रहा
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बॉण्ड का विवरण अब तक साझा नहीं किया है. उच्चतम न्यायालय ने एसबीआई को बुधवार तक निर्वाचन आयोग को विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था. स्टेट बैंक ने राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए चुनावी बॉण्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक समय देने का अनुरोध करते हुए सोमवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
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उच्चतम न्यायालय के समक्ष दायर एक आवेदन में, स्टेट बैंक ने दलील दी कि ‘‘प्रत्येक साइलो” से जानकारी फिर से प्राप्त करना और एक ‘साइलो’ की जानकारी को दूसरे से मिलाने की प्रक्रिया में समय लगेगा.
स्टेट बैंक की याचिका अब तक सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं की गई है. सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग के साथ कोई विवरण साझा नहीं किया गया है. चुनाव निकाय के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई जानकारी नहीं है.
बैंक यूनियन ने SBI आलोचना की
बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव हरि राव ने बुधवार को एक कड़े बयान में कहा कि हम राजनीतिक उद्देश्य के लिए बैंकों का इस्तेमाल करने का विरोध करते हैं. राव ने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के रूप में एसबीआई को चुनावी बॉन्ड के सभी विवरणों का खुलासा करना चाहिए और चुनाव आयोग को इसे पेश करना चाहिए….जैसा कि शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है, क्योंकि विलंबित न्याय का मतलब न्याय नहीं मिलना है.”
30 जून तक का समय मांगा है
भारतीय स्टेट बैंक ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के ब्योरे का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा है. पिछले महीने अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने एसबीआई को छह मार्च तक भारत के चुनाव आयोग को इसका ब्योरा देने का निर्देश दिया था.
कांग्रेस ने आलोचना की
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना पर भाजपा की स्थिति लोकतांत्रिक नहीं है. इसमें सभी के लिए समान अवसर नहीं है. उन्होंने कहा था, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है.”
कांग्रेस के अनुसार, 2017 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने के बाद से पिछले वित्त वर्ष तक सभी राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला है. इसमें अकेले भाजपा को 6,566.11 करोड़ रुपये मिले है, जो कुल चुनावी बॉन्ड का 55 प्रतिशत है. वहीं कांग्रेस को कुल राशि का नौ प्रतिशत यानी 1,123.29 करोड़ रुपये मिला है..
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)