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Special appointment of retired judges can be done in the High Cour Supreme Court gave order


Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट सेवानिवृत्त जजों को बतौर ऐड हॉक जज नियुक्त कर सकते हैं. हाई कोर्ट में आपराधिक अपीलों की बड़ी संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है. यह ऐड हॉक जज नियमित जजों के साथ डिवीजन बेंच में बैठ सकेंगे.

संविधान के अनुच्छेद 224A में पहले ही ऐड हॉक जजों को लेकर व्यवस्था दी गई है. इसमें कहा गया है कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस किसी रिटायर्ड जज को अपने यहां तदर्थ (ऐड हॉक) जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश कर सकते हैं. यह जज उसी हाई कोर्ट या किसी अन्य हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त जज होना चाहिए. इस तरह की नियुक्ति को लेकर पूरी प्रक्रिया तय है. हाई कोर्ट से भेजी गई सिफारिश राज्य के मुख्यमंत्री, केंद्रीय कानून मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट से होती हुई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक जाती है. इसके बाद एक तय अवधि के लिए ऐड हॉक जज की नियुक्ति होती है.

बेहद कम मौके पर हुई है नियुक्ति

न्यायपालिका के अब तक के इतिहास में बहुत कम मौकों पर किसी रिटायर्ड हाई कोर्ट जज को दोबारा जज की कुर्सी पर बैठने का अवसर मिला है. सबसे हालिया मामला 2007 का है, जब इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस ओ पी श्रीवास्तव को अयोध्या विवाद की सुनवाई के लिए नियुक्त किया गया था. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ लोक प्रहरी की याचिका को सुनते हुए ऐड हॉक जजों की नियुक्ति की अनुमति दी थी.

2021 के आदेश में SC ने जताई थी चिंता

2021 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इस चिंता को भी ध्यान में रखा था कि ऐड हॉक जजों की नियुक्ति की असीमित छूट नियमित जजों की नियुक्ति पर असर डाल सकती है. ऐसे में तब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें लगाई थीं. जैसे उस आदेश के मुताबिक 20 प्रतिशत से अधिक खाली पद होने पर ही ऐड हॉक जज की नियुक्ति पर विचार हो सकता है. उसी तरह किसी खास श्रेणी के 10 प्रतिशत से अधिक मुकदमों के 5 साल से अधिक समय तक लंबित होने पर ही ऐड हॉक जज की नियुक्ति की शर्त रखी गई थी.

 2021 की कुछ शर्तों को हटाया

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर ज़्यादा उदार रवैया दिखाते हुए 2021 की कुछ शर्तों को हटा दिया है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और 2 वरिष्ठतम जजों जस्टिस बी आर गवई और सूर्य कांत की विशेष बेंच ने कहा है कि हाई कोर्ट 2 से 5 ऐड हॉक जजों की नियुक्ति कर सकते हैं. यह हाई कोर्ट में जजों के कुल स्वीकृत पदों का 10 प्रतिशत तक हो सकता है. फैसले में कहा गया है कि अनुच्छेद 224A में दी गई व्यवस्था और ऐड हॉक जजों की नियुक्ति के लिए तय नियमावली का पालन करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सिफारिश भेज सकते हैं.



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