News

Socio-economic Data Soon: Nitish Kumar Said In All-party Meeting After Caste Survey – सामाजिक-आर्थिक डेटा जल्द: जातिगत सर्वेक्षण के बाद सर्वदलीय बैठक में बोले नीतीश कुमार



इस बैठक को लेकर लोगों में उत्सुकता देखी गई. इस सर्वेक्षण के आयोजन पर सर्वदलीय सहमति के बावजूद यह विवादास्पद रहा है. यहां तक ​​कि इसे विभिन्न अदालतों में चुनौती भी दी गई है. बीजेपी की बिहार इकाई इस पर मौन धारण किए रही, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर ”देश को जाति के नाम पर बांटने की कोशिश” करने का आरोप लगाया.

बिहार बीजेपी ने भी बैठक में भाग लिया. वह सर्वेक्षण में “त्रुटियों” की आलोचना कर रही है. दूसरी तरफ जब वह बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाईटेड के साथ सत्ता में थी, तब इस पर काम शुरू करने का श्रेय ले रही थी.

सर्वदलीय बैठक में शामिल हुईं नौ पार्टियां 

बिहार में विधानसभा में मौजूदगी रखने वाले नौ दलों की बैठक मुख्यमंत्री ने सर्वेक्षण का विवरण साझा करने और चर्चा करने और आगे का रास्ता तय करने के लिए बुलाई थी. इन पार्टियों में जनता दल (यूनाईटेड), राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, बीजेपी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), सीपीआई (एमएल) और एआईएमआईएम शामिल थीं.

सूत्रों ने NDTV को बताया कि बैठक में भाग लेने वाले अधिकांश दलों ने सर्वेक्षण के नतीजे जारी करके लोगों से किया गया वादा पूरा करने पर खुशी जाहिर की. 

सर्वेक्षण में कुछ समूहों को कथित तौर पर रिपोर्ट से बाहर रखे जाने पर बीजेपी विधानमंडल दल के नेता विजय कुमार सिन्हा ने असंतोष जाहिर किया. हालांकि वरिष्ठ अधिकारियों और नीतीश कुमार ने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर ऐसा कुछ हुआ है तो यह एक त्रुटि है और इसे सुधारा जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि राज्य के सामाजिक-आर्थिक डेटा जारी करने की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार अपने विकल्पों पर विचार कर रही है. बैठक के दौरान इस बात पर चर्चा हुई कि डेटा बिहार विधानसभा के अगले सत्र के दौरान जारी किया जा सकता है.

कांग्रेस की राय

बैठक के बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने कहा कि विपक्ष समेत सभी दल खुश हैं और उन्होंने अपने सुझाव दिए हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी ने भी नतीजों का स्वागत किया है, खान ने कहा- “निश्चित रूप से.”

बीजेपी द्वारा बताई गई ‘त्रुटियों’ के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘कुछ चीजें हैं जो उन्होंने बताई हैं और मुख्यमंत्री ने कहा है कि अगर वे सही पाई गईं तो उन्हें ठीक कर दिया जाएगा. लेकिन कुल मिलाकर हर किसी ने नतीजों का स्वागत किया है.’ 

खान ने कहा कि, “जब पूरे देश में जाति सर्वेक्षण की मांग हो रही थी, तो बीजेपी इसके खिलाफ थी. यह एक तथ्य है. बिहार ऐसा सर्वेक्षण करने वाला पहला राज्य है और नीतीश जी ने कहा था कि हम इसे अपने यहां खुद के व्यय से करेंगे. यह भी एक सच्चाई है जिसे बीजेपी को समझना चाहिए.” 

सर्वेक्षण में क्या पाया गया

आंकड़ों से पता चला कि राज्य की 13.1 करोड़ आबादी में से लगभग 63.1% पिछड़े वर्ग से हैं और लगभग 85% पिछड़े या अत्यंत पिछड़े वर्ग, या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोग हैं. सामान्य वर्ग की जनसंख्या मात्र 15.5 प्रतिशत है. अन्य पिछड़ा वर्ग में सबसे बड़ा समूह यादव समुदाय है, जो ओबीसी का 14.27% है.



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *