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Shashi Tharoor admires PM Modi for his foreign policy says options are always open


Shashi Tharoor: केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद और प्रसिद्ध लेखक शशि थरूर ने शनिवार (22 मार्च 2025) को भुवनेश्वर में आयोजित 11वें कलिंग साहित्य महोत्सव 2025 में अपने संबोधन में कहा कि जब राजनीति गिरती है, तो साहित्य हमेशा समाज की रक्षा के लिए सामने आता है.

कांग्रेस नेता थरूर ने दिवंगत प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और प्रसिद्ध हिंदी लेखक रामधारी सिंह दिनकर के बीच हुई ऐतिहासिक बातचीत का उदाहरण दिया और बताया कि लेखक समाज में बदलाव लाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जब समाज जवाब देना बंद कर देता है, तो साहित्यकार अपनी लेखनी से समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं.

मैं न कम्युनिस्ट और न सांप्रदायिक- थरूर

शशि थरूर ने अपने भाषण में यह भी कहा कि अगर लेखकों को घुटन महसूस हो रही है, तो यह समाज की स्थिति का साफ संकेत है. उन्होंने वर्तमान में हो रहे ध्रुवीकरण पर चिंता जताते हुए कहा कि इस समय कुछ भी नया होने की उम्मीद नहीं है. वरिष्ठ पत्रकार सतीश पद्मनाभन के साथ एक संवाद में थरूर ने कहा, “मैं न तो कम्युनिस्ट हूं, न सांप्रदायिक, और न ही किसी एक विचारधारा से बंधा हूं. मैं हमेशा उन अच्छे पहलुओं के लिए खुला हूं जो समाज में हो रही हैं.”

विदेश नीति को लेकर थरूर ने की पीएम की तारीफ

उन्होंने भारत की विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन बनाए रखते हुए संयम और राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया. थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेर‍िका की यात्रा के बाद भारत के टैरिफ ढांचे पर बातचीत के सकारात्मक परिणामों का भी उल्लेख किया और कहा कि यह दर्शाता है कि सही नेतृत्व के तहत चीजें कैसे आकार ले सकती हैं. उन्होंने हाल ही में केरल की वामपंथी सरकार के व्यापार समर्थक रुख का भी समर्थन किया.

विकल्प हमेशा खुले रहते हैं- शशि थरूर

जब उनसे भविष्य के राजनीतिक कदमों के बारे में पूछा गया, तो शशि थरूर ने कहा, “विकल्प हमेशा खुले रहते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि एक पार्टी दूसरी पार्टी के लिए है, यह साहित्यिक खोज या किसी और दिशा में भी हो सकता है.” कलिंग साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन का उद्घाटन नागालैंड के पर्यटन मंत्री तेमजेन इम्ना ने किया. साथ ही राजकुमारी गौरी लक्ष्मी बाई और प्रोफेसर जतिंद्र नायक भी मौजूद थे. इस दिन के प्रमुख सत्रों में केरल और अन्य स्थानों की संस्कृति और साहित्य में त्रावणकोर शाही परिवार के योगदान पर चर्चा की गई.

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