Sharad Pawar gave ultimatum to Maharashtra government to Protest for MPSC and IBPS exam date
IBPS Exam Date: आईबीपीएस परीक्षा और एमपीएससी राज्य सेवा संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा को एक ही दिन आयोजित करने के निर्णय ने छात्रों के सामने एक गंभीर दुविधा खड़ी कर दी है. इस स्थिति से नाराज छात्र पुणे में मंगलवार से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. यह मामला अब राजनीतिक रंग भी पकड़ने लगा है. आज उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) से इस मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया है और इस संबंध में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है.
शरद पवार ने दिया अल्टीमेटम
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने भी कल धरनास्थल पर जाकर छात्रों से मुलाकात की और उनके विरोध का समर्थन किया. शरद पवार ने भी ट्वीट कर इस मुद्दे का जल्द समाधान निकालने की अपील की है. उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि छात्रों के हितों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है, लेकिन सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है.
शरद पवार ने अपने ट्वीट में चेतावनी दी कि यदि सरकार स्थिति स्पष्ट नहीं करती है तो वह स्वयं पुणे के धरनास्थल पर जाकर विरोध में शामिल होंगे और छात्रों को न्याय दिलाने के लिए आगे आएंगे.
आईबीपीएस परीक्षा और एमपीएससी राज्य सेवा संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा दोनों 25 अगस्त को आयोजित की गई हैं. इसके अलावा, कृषि विभाग की 258 सीटें राज्य सेवा प्री परीक्षा में शामिल नहीं हैं, जिससे छात्रों में असंतोष बढ़ गया है. फडणवीस ने बताया कि उन्होंने एमपीएससी अध्यक्ष से इस मामले में सकारात्मक निर्णय लेने का अनुरोध किया है और अध्यक्ष ने आश्वासन दिया है कि इस पर विचार करने के लिए आज दोपहर एक बैठक आयोजित की जाएगी.
राज्य के हजारों छात्र आईबीपीएस परीक्षा में भाग लेते हैं, इसलिए छात्रों ने राज्य सेवा परीक्षा की तारीख बदलने की मांग की है. कई विधायकों और जन प्रतिनिधियों ने इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र भी लिखा है. सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने भी इस मुद्दे पर आयोग के अध्यक्ष को निर्देश दिए हैं. आयोग ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा निर्धारित तिथि पर ही आयोजित की जाएगी.
गौरतलब है कि एमपीएससी पहले ही राज्य सेवा परीक्षा को दो बार स्थगित कर चुका है, और अब तीसरी बार परीक्षा तिथि निर्धारित करते समय यह सुनिश्चित नहीं किया गया कि उस दिन कोई अन्य महत्वपूर्ण परीक्षा भी हो सकती है. इस मामले में छात्रों के कई संगठनों और राजनीतिक नेताओं ने आवाज उठाई, लेकिन एमपीएससी और राज्य सरकार छात्रों की इस मांग पर विचार करने को तैयार नहीं दिख रहे हैं.