Sharad Pawar and PM Modi meeting stirred up Maharashtra politics
Sharad Pawar Meet PM Modi: दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शरद पवार एक ही मंच पर नजर आए, जिससे राजनीतिक अटकलें तेज हो गईं. इससे पहले, शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ भी मंच साझा कर चुके हैं,जिसके बाद चर्चा होने लगी कि क्या शरद पवार अब एनडीए (NDA) के करीब आ रहे हैं?
शरद पवार महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी (MVA) का हिस्सा हैं, जिसमें शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और कांग्रेस शामिल हैं. हालांकि, लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद महाविकास आघाड़ी के भीतर असहमति बढ़ती जा रही है. ठाकरे गुट ने पहले ही अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस ने भी अपने संगठन को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार अपने लिए एक नया राजनीतिक रास्ता खोज रहे हैं?
दिल्ली में मोदी-पवार की दोस्ती
दिल्ली में हुए कार्यक्रम में पीएम मोदी ने शरद पवार को सहज महसूस कराने की पूरी कोशिश की. उन्होंने RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का जिक्र किया, तो वहीं शरद पवार ने राम मंदिर की बात छेड़ी, जिससे यह साफ हुआ कि दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हैं. महाराष्ट्र में अब इसी को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है.शरद पवार के पास 10 सांसद, अजित पवार के पास सिर्फ 1 है. बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में संख्याओं का खेल अहम भूमिका निभाता है.
अगर केंद्र की सरकार को समर्थन की जरूरत पड़ी, तो शरद पवार के सांसद एनडीए में शामिल हो सकते हैं या फिर अजित पवार की पार्टी के साथ जा सकते हैं. एकनाथ शिंदे “ऑपरेशन टाइगर” के तहत उद्धव ठाकरे के सांसदों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं. शरद पवार के लिए भी यही रणनीति अपनाई जा सकती है.महाराष्ट्र में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या शरद पवार सत्ता में आने के लिए एनडीए का समर्थन करेंगे?
2014 में पवार ने बीजेपी को दिया था समर्थन
यह पहली बार नहीं है जब शरद पवार की भाजपा के साथ करीबी बढ़ी हो. 2014 में जब भाजपा और शिवसेना में मतभेद बढ़े थे, तब शरद पवार की पार्टी ने भाजपा को बाहर से समर्थन देने की पेशकश की थी. प्रफुल्ल पटेल ने सिल्वर ओक (शरद पवार का निवास) पर भाजपा को समर्थन देने की बात कही थी. 2019 में शरद पवार ने महाविकास आघाड़ी बनाकर भाजपा को सत्ता से बाहर रखा था. शरद पवार हमेशा राजनीतिक समीकरणों को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए पहचाने जाते हैं. इसलिए इस बार भी उनके अगले कदम को लेकर संस्पेंस बरकरार है. बता दें कि शरद पवार की चालों को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह किस ओर जाएंगे.