Samajwadi Party President Akhilesh Yadav On Supreme Court Strikes Down Electoral Bond Scheme
UP News: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए राजनीति के वित्तपोषण के लिए लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर समाजावादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया सामने आई है. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कोर्ट के फैसले पर कहा कि ये बीजेपी की नाजायज नीतियों का भंडाफोड़ है.
वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा-“‘इलेक्ट्रारल बांड’ की अवैधानिकता और तत्काल ख़ात्मे का माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फ़ैसला लोकतंत्र के पुनर्जीवन के लिए स्वागत योग्य निर्णय है. ये भाजपा की नाजायज़ नीतियों का भंडाफोड़ है. ये फ़ैसला भाजपा-भ्रष्टाचार के बांड का भी खुलासा है. जनता कह रही है लगे हाथ भाजपाइयों द्वारा लाए गये तथाकथित पीएम केयर फंड और तरह-तरह के भाजपाई चंदों पर भी खुलासा होना चाहिए. जब करदाताओं, दुकानदारों, कारोबारियों से पिछले दसों सालों का हिसाब माँगा जाता है तो भाजपा से क्यों नहीं माँगा जाए.”
‘इलेक्ट्रारल बांड’ की अवैधानिकता और तत्काल ख़ात्मे का माननीय सर्वोच्च न्यायालय का फ़ैसला लोकतंत्र के पुनर्जीवन के लिए स्वागत योग्य निर्णय है।
ये भाजपा की नाजायज़ नीतियों का भंडाफोड़ है। ये फ़ैसला भाजपा-भ्रष्टाचार के बांड का भी खुलासा है।
जनता कह रही है लगे हाथ भाजपाइयों…
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) February 15, 2024
वहीं कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड योजना पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला नोट के मुकाबले वोट की ताकत को मजबूत करेगा. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि चुनावी बॉण्ड को बीजेपी ने रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था. बता दें कि चुनावी बॉन्ड एक वित्तीय तरीका है जिसके माध्यम से राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया जाता है. इसकी व्यवस्था साल 2017-2018 के केंद्रीय बजट में पहली बार वित्तमंत्री ने की थी.
जानें चुनावी बॉन्ड योजना का घटना क्रम
साल 2017 में वित्त विधेयक में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की गई, जिसके बाद 14 सितंबर 2017 को मुख्य याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ ने इस योजना को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इसके बाद तीन अक्टूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र तथा निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया. फिर साल 2018 दो जनवरी को केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित किया. वहीं सात नवंबर 2022 को चुनावी बॉन्ड योजना में एक साल में बिक्री के दिनों को 70 से बढ़ाकर 85 करने के लिए संशोधन किया गया.
इसके बाद 16 अक्टूबर 2023 को भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस योजना के खिलाफ याचिकाओं को पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा. फिर 31 अक्टूबर 2023 को सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की. वहीं दो नवंबर 2023 को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा और फिर अब 15 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को रद्द करते हुए कहा कि यह संविधान में प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है.