samajwadi party mp Ziaur Rahman Barq on supreme court orders on sambhal masjid case
Sambhal Masjid Controversy: उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत इसमें कोई एक्शन न लें. वहीं इस मामले पर अब संभल सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया और कहा कि हम सर्वोच्च अदालत से पूरी संतुष्ट हैं.
संभल सांसद जियाउर्रहमान ने एबीपी न्यूज संवाददाता से बात करते हुए कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट इसी नीयत से गए थे कि वहां हमें इंसाफ मिलेगा. मुझे खुशी है कोर्ट से जो हमें उम्मीद थी कोर्ट से हमें अच्छा जजमेंट दिया है और इस पर रोक लगा दी हैं कि निचली अदालत तब तक कुछ नहीं करेगी, जब तक हाईकोर्ट का फैसला नहीं आएगा. हम इस बात के लिए मुबारकबाद देते हैं. हमें खुशी है कि आगे भी हमें इंसाफ मिलेगा.
सपा सांसद ने जताई फैसले पर खुशी
जियाउर्रहमान ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट से संतुष्ट हैं लेकिन, पुलिस प्रशासन और सरकार से हम संतुष्ट नहीं है. वहीं यूपी सरकार की ओर से इस हिंसा की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया गया है. जिसपर सपा सांसद ने कहा कि उसके लिए भी हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और मांग करेंगे कि जो आयोग गठित हो वो सुप्रीम कोर्ट की सिटिंग बेंच से होना चाहिए.
इस मामले पर हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिविल जज के ऑर्डर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चैलेंज करिए. अगर हाईकोर्ट जाते हैं तो 3 दिन के अंदर सुनवाई करे. जब तक मुस्लिम पक्ष मामले को दाखिल नहीं करता तबतक ट्रायल पर रोक रहेगी. मुझे मुस्लिम पक्ष को कोई राहत नहीं दिखती अगर उनको दिखती है तो उन्हें शुभकामनाएं. ट्रायल कोर्ट में अगली तारीख 8 जनवरी लगी है तो हमें जल्दी नहीं है. हमने कैविएट दाखिल कर दिया है. जब मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट जाएगा तो हम भी मौजूद रहेंगे.
निचली अदालत न ले कोई एक्शन
बता दें कि संभल मस्जिद मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान CJI ने कहा हमने आदेश देखा है, इस केस पर हम टिप्पणी नहीं करेंगे. कोर्ट ने निर्देश दिए कि इस मामले में मस्जिद कमेटी को अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल का मौका मिलना चाहिए. ये जिला कोर्ट या हाई कोर्ट कुछ भी हो सकता है. कोर्ट ने कहा कि क्या 227 के तहत हाईकोर्ट जाना उचित नहीं हैं? बेहतर होगा कि हम केस को अपने पास लंबित रखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं वहां शांति रहे. अगर मस्ज़िद कमेटी सिविल जज के आदेश के खिलाफ अपील करती है, तो उसे 3 दिन में सुनवाई के लिए लगाया जाए. हम नहीं चाहते कि इस बीच वहां कुछ भी हों, उन्हें इस आदेश को चुनौती देने का अधिकार है. हम याचिका को लंबित रख रहे हैं. 6 जनवरी से शुरू हो रहे सप्ताह में इस मामले को लिस्ट किया जाएगा. ट्रायल कोर्ट अभी कार्रवाई न करे. कमिश्नर रिपोर्ट सीलबंद रखी जाए.
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