Samajwadi Party Akhilesh yadav Brahmin Strategy for Uttar Pradesh by Mata Prasad Pandey to counter Yogi Adityanath and BJP
Akhilesh Yadav Brahmin Card: पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक यानी PDA के बूते समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को वो चोट दी, जिसका दर्द लंबे समय तक रहने वाला है. अब अखिलेश यादव ने बीजेपी को घेरने का नया प्लान बना लिया है. इस प्लान के तहत पहला पत्ता फेंकते हुए उन्होंने सपा के वरिष्ठ विधायक माता प्रसाद पांडेय को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिया है.
ब्राह्मण चेहरे को अपनी कुर्सी देकर अखिलेश यादव ने इस दांव के जरिए एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है. उनका पहला निशाना हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ. दरअसल यूपी की सियासत में ठाकुर और ब्राह्मण समाज को दो धुरी और एक दूसरे के कट्टर विरोधी के तौर पर माना जाता रहा है. खासकर पूर्वांचल में.
पुराना है ठाकुर बनाम ब्राह्मण विवाद का योगी से नाता
सपा पहले ही हरिशंकर तिवारी का नाम लेकर योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलती रही है और ठाकुर बनाम ब्राह्मण की उनकी छवि गढ़ने का काम करती रही है. हरिशंकर तिवारी का नाम उत्तर प्रदेश के बड़े ब्राह्मण चेहरों में शुमार था और वो गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के मुखर विरोधी के तौर पर भी देखे जाते थे. जब योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही हरिशंकर तिवारी के घर पर छापे पड़े, तब भी सपा ने योगी आदित्यनाथ पर ठाकुर बनाम ब्राह्मण की राजनीति करने का आरोप मढ़ा था. अब एक बार फिर सपा इस मुहिम में जुट गई है.
पिछले कई दिनों से अखिलेश यादव यूपी की टॉप पोस्ट पर ठाकुर समाज से आने वाले अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर भी ब्राह्मणों को उकसाते और इसके जरिए योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते दिखाई दे रहे हैं. हाल ही में उन्होंने एबीपी न्यूज के कार्यक्रम में सवाल किया था कि यूपी के टॉप 10 अधिकारी किस समाज से आते हैं. दरअसल सीएम योगी आदित्यनाथ ठाकुर बिरादरी से आते हैं और सपा उनपर ठाकुर समाज के लिए पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए ब्राह्मण वोटरों को अपनी ओर खींचने की लगातार कोशिश करती रही है.
12 प्रतिशत ब्राह्मण, लेकिन असर कहीं ज्यादा
अब बात करते हैं अखिलेश के दूसरे निशाने बीजेपी के वोट बैंक पर. ब्राह्मण समाज को बीजेपी का कोर वोटर माना जाता रहा है. हालांकि ये वोटर 2007 में बीजेपी से छिटका और बहुजन समाज पार्टी के पाले में गया तो मायावती ने राज्य में सरकार बना ली थी. उत्तर प्रदेश में यूं तो 12 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर्स हैं, लेकिन इनका प्रभाव अपनी संख्या से कहीं ज्यादा है.
दरअसल ब्राह्मण वर्ग पढ़ा-लिखा और कई अन्य समाज और लोगों की राय गढ़ने में अहम भूमिका निभाता रहा है. ऐसे में भी ये वर्ग महत्वपूर्ण बन जाता है. इस वोट बैंक को हरगिज भी अपने हाथों से न छिटकने देने के लिए बीजेपी लगातार कोशिश करती रही है. बृजेश पाठक को डिप्टी सीएम की कुर्सी देना इसी कोशिश का उदाहरण है.
योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में ब्राह्मणों की अनदेखी के आरोप लगते रहे हैं. विकास दुबे के एनकाउंटर के समय भी उनकी ब्राह्मण विरोधी इमेज को बनाने का काम किया गया था. अब जब सूबे में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी से ब्राह्मणों की नाराजगी के कई उदाहरण देखने को मिले तो समाजवादी पार्टी ने इसमें अवसर तलाश लिया.
क्या अखिलेश यादव ने PDA में जोड़ लिया है B?
इस अवसर के मद्देनजर, अखिलेश यादव ने सीएम योगी की ब्राह्मण विरोधी छवि को हवा देते हुए अपनी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी एक ब्राह्मण नेता को देने के साथ ही एक राजनीतिक संदेश भी दिया है. साथ ही उन्होंने अपनी PDA की नीति में ब्राह्मण का B भी जोड़ लिया है. अब देखना ये होगा कि क्या समाजवादी पार्टी इस दांव के जरिए बीजेपी के कोर ब्राह्मण वोटर्स को अपनी ओर खींचकर मायावती वाला जादू कर पाएगी या बीजेपी इस दांव को पलटने के लिए कोई नया दांव चलेगी.
ये भी पढ़ें: चरणजीत सिंह चन्नी ही अकेले नहीं, अमृतपाल सिंह को लेकर बदल रही है पंजाब की फिजा