Rishabh Pal ON Delhi Coaching Centre Tragedy Tanya Soni survivor recalls last words victim
Old Rajendra Nagar Accident: दिल्ली के कोचिंग सेंटर में शनिवार (28) को हुई त्रासदी में 21 साल के ऋषभ पाल बाल-बाल बच गए, लेकिन उनका कहना है कि उन्हें अपने साथी छात्रा तान्या सोनी को न बचा पाने का हमेशा अफसोस रहेगा, जिन्होंने उन्हें तब उम्मीद नहीं छोड़ने के लिए प्रेरित किया था, जब उन्हें डर था कि उनका अंत निकट है.
गाजियाबाद निवासी ऋषभ उन 25-30 छात्रों में शामिल थे, जो 27 जुलाई की शाम को इमारत के बेसमेंट में फंस गए थे, जहां बारिश के बाद आई बाढ़ के कारण तान्या, श्रेया यादव और नेविन डाल्विन की मौत हो गई थी. ऋषभ पाल ने कहा कि हम लाइब्रेरी में थे, जब पानी इमारत में घुसना शुरू हुआ. जून में शुरू हुए राऊ के आईएएस स्टडी सर्किल के बैच एम33 के सिविल सेवा उम्मीदवार ऋषभ ने पीटीआई को बताया कि गेट के पास मौजूद करीब 10 से 12 छात्र किसी तरह बाहर निकलने में कामयाब रहे, लेकिन हममें से 10-15 लोग सीढ़ियों पर पानी के तेज बहाव के कारण फंस गए.
हमने श्रृंखला बनाने की कोशिश की
ऋषभ ने कहा कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी और सोचा था कि वे सभी मर जाएंगे. लेकिन तान्या, जो मेरी बैचमेट थी, ने कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है और हम बच जाएंगे. उसने यह भी कहा,’चलिए एक मानव श्रृंखला बनाते हैं.’ हमने श्रृंखला बनाने की कोशिश की लेकिन पानी के बहाव के कारण हम टिक नहीं सके.
उन्होंने कहा कि पानी लगातार अंदर आ रहा था, तान्या और श्रेया एक मेज पर खड़ी थीं. मैंने किसी तरह हिम्मत जुटाई और सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया. फिर, हमारे संस्थान के कर्मचारी पानी में फंसे अन्य लोगों को खींचने के लिए रस्सी लेकर आए. ऋषभ ने कहा कि तान्या और श्रेया शायद सीढ़ियों की ओर नहीं गई होंगी क्योंकि वे अंदर से बह रहे पानी की तीव्रता से डर गई होंगी. मुझे नेविन के बारे में नहीं पता क्योंकि मैंने उसे लाइब्रेरी में नहीं देखा था. वह उस समय बाथरूम में रहा होगा.
महज तीन से चार मिनट में 13 फुट ऊंची लाइब्रेरी पानी से भर गई
उन्होंने कहा कि उनके पास कुछ भी करने के लिए बहुत कम समय था क्योंकि 5-10 सेकंड के भीतर, वे घुटने तक पानी में थे और उसके बाद चीजें बदतर हो गईं. नकुल सबसे आखिर में बाहर आया और हमें बताया कि दो और लड़कियां (तान्या और श्रेया) अभी भी वहां थीं. उन्होंने कहा कि महज तीन से चार मिनट में 13 फुट ऊंची लाइब्रेरी पानी से भर गई. ऋषभ अपने माता-पिता के साथ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में रहते हैं उनके पिता एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं जबकि उनके बड़े भाई नोएडा में एक आईटी कंपनी में काम करते हैं.
तेजी से कार्रवाई नहीं की होती, तो हताहतों की संख्या और अधिक होती
उन्होंने कहा कि सभी स्टाफ सदस्यों ने फंसे छात्रों को बचाने में मदद की. लाइब्रेरी में चाचा सहित प्रत्येक स्टाफ सदस्य ने छात्रों की जान बचाने में हमारी मदद की. अगर उन्होंने तेजी से कार्रवाई नहीं की होती, तो हताहतों की संख्या और अधिक होती. ऋषभ ने कहा कि बिल्डिंग के बेसमेंट में कोई बायोमेट्रिक लॉक सिस्टम नहीं था. मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बेसमेंट या भवन के किसी भी हिस्से में कोई बायोमेट्रिक सिस्टम नहीं था, उन्होंने कहा, बेसमेंट से दो प्रवेश और निकास पॉइंट थे. उन्होंने प्रशासन द्वारा प्रतिक्रिया में देरी का भी आरोप लगाया.
उन्होंने दावा किया कि रात करीब 10 बजे आए एनडीआरएफ के अधिकारियों ने हमें बताया कि वे कुछ नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास कोई उपकरण नहीं है. उन्होंने कहा कि शायद संस्थान का बेसमेंट अवैध रूप से बनाया गया था, लेकिन भवन में मौजूद सभी संकाय सदस्यों ने बचाव में हमारी मदद की. उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया और आगे के इलाज के लिए गंगा राम अस्पताल ले जाया गया. ऋषभ ने कहा कि वह पीड़ितों के लिए शीघ्र न्याय और त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा की कामना करते हैं. साथ ही, उन्होंने कहा कि उन्हें और संस्थान के अन्य साथी छात्रों को प्रभावित नहीं होना चाहिए क्योंकि उन्होंने कोचिंग के लिए भारी फीस का भुगतान किया है.
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