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Review Petitions Filed In Supreme Court Against Jammu Kashmir Article 370 Abrogation Verdict ANN


Article 370 Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 11 दिसंबर को  जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र के फैसले को सही ठहराया था. अदालत के इस निर्णय की समीक्षा के लिए बुधवार (10 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में कई पुनर्व‍िचार याचिकाएं दायर की गईं. 

ये याचिकाएं जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुजफ्फर इकबाल खान और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट ने दायर की हैं. इस संबंध में अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुजफ्फर खान ने कहा कि उन्होंने उस फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर की है, जिसमें अनुच्छेद 370 को संविधान का एक अस्थायी प्रावधान बताया गया था. 

‘फैसले में त्रुटियां’
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से वकील धर्मेंद्र कुमार सिन्हा के माध्यम से दायर समीक्षा याचिका में कहा गया है कि फैसले में त्रुटियां हैं और इसकी समीक्षा के लिए पर्याप्त आधार हैं. याचिका में कहा गया है कि फैसले ने गलत निष्कर्ष निकाला कि महाराजा हरि सिंह की ओर से 1947 में विलय पत्र (आईओए) पर हस्ताक्षर करने के बाद पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य ने अपनी संप्रभुता खो दी. 

याचिका में कई गलत निष्कर्षों का हवाला देते हुए कहा गया कि अनुच्छेद 370 कोई रियायत नहीं थी. ”कोर्ट का यह विचार कि अनुच्छेद 370 को राज्य की स्थितियों के कारण अस्थायी घोषित किया गया था, अन्यथा राज्य पूरी तरह से संघ के साथ शामिल हो गया था, एक निष्कर्ष है और रिकॉर्ड में देखने पर यह स्पष्ट रूप से एक त्रुटि है.”

दशकों से चली आ रही बहस का 16 दिनों में हुआ था न‍िपटारा 
बता दें कि लगातार 16 दिनों की सुनवाई के बाद 11 दिसंबर को अनुच्छेद 370 के विवादास्पद मुद्दे पर दशकों से चली आ रही बहस का निपटारा करते हुए 5 न्यायाधीशों की पीठ ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा था. अनुच्छेद 370 के तहत 1947 में जम्मू-कश्मीर को एक यूनीक दर्जा दिया गया था. जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को  केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया था.

अनुच्छेद 370 को खत्म करना बीजेपी के एजेंडे के मुख्य मुद्दों में से एक था और इस मुद्दे को पार्टी ने लगातार चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था.  

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