Remarks against PM Modi Supreme Court to hear CJI DY Chandrachud asks Shashi Tharoor to send email after Delhi High Court rejected plea | पीएम मोदी पर टिप्पणी मामले में शशि थरूर ने की तुरंत सुनवाई की गुजारिश तो CJI चंद्रचूड़ बोले
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ कांग्रेस सांसद शशि थरूर की याचिका को मंगलवार (10 सिंतबर, 2024) को सूचीबद्ध करने पर विचार किए जाने पर सहमति व्यक्त की है. दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाकर कथित तौर पर की गई ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ संबंधी थरूर की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने सोमवार को शाम छह बजे तक सुनवाई की, जबकि सामान्यत शाम चार बजे तक ही सुनवाई की जाती है.
बेंच से एक वकील ने अनुरोध किया कि याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की जाए, वरना कांग्रेस नेता को उसी दिन निजी मानहानि शिकायत के संबंध में दिल्ली की एक अदालत में पेश होना पड़ेगा. वकील ने कहा, ‘यह अत्यावश्यक है. हम इसे कल सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध करते हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने शशि थरूर का मामला रद्द कर दिया था.’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘बस ईमेल भेजिए. मैं अभी इसकी पड़ताल करूंगा.’ दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अगस्त को शशि थरूर के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया, प्रधानमंत्री के खिलाफ शिवलिंग पर बिच्छू जैसे आरोप घृणित एवं निंदनीय हैं.
हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया, टिप्पणी से प्रधानमंत्री, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ-साथ इसके पदाधिकारियों और सदस्यों की मानहानि हुई है. निचली अदालत में लंबित मानहानि की कार्यवाही को रद्द करने का अनुरोध करने वाली शशि थरूर की याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत उन्हें तलब करने के लिए पर्याप्त सामग्री मौजूद है.
हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2020 को मानहानि की शिकायत में केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर अंतिरम रोक लगा दी थी. बाद में, इसने अंतरिम आदेश को हटाते हुए संबंधित पक्षों को मंगलवार (10 सितंबर) को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था.
इसने कहा था कि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि एक राजनीतिक दल के विधायी प्रमुख और भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप का उस दल, उसके पदाधिकारियों और संबंधित सदस्यों की छवि पर महत्वपूर्ण असर पड़ता है, और यह व्यवस्था के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है, क्योंकि इसका असर चुनावी प्रक्रिया पर भी पड़ता है.
हाईकोर्ट ने कहा था, ‘प्रथम दृष्टया, वर्तमान प्रधानमंत्री के खिलाफ लगाए गए आरोप घृणित और निंदनीय हैं तथा भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की मानहानि करने के अलावा, भारतीय जनता पार्टी तथा इसके पदाधिकारियों और सदस्यों की भी मानहानि करते हैं.’ कोर्ट ने कहा था कि चूंकि शिकायत भाजपा की दिल्ली इकाई के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर द्वारा दर्ज कराई गई थी, इसलिए शिकायतकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 199 के तहत व्यथित व्यक्ति के दायरे में आता है.
शशि थरूर ने निचली अदालत के 27 अप्रैल, 2019 के आदेश को निरस्त किए जाने का अनुरोध किया था जिसमें बब्बर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि शिकायत और 2 नवंबर, 2018 की शिकायत में उन्हें आरोपी के रूप में तलब किया गया था. बब्बर ने निचली अदालत में थरूर के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता के बयान से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
अक्टूबर 2018 में थरूर ने दावा किया था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक अनाम नेता ने मोदी की तुलना ‘‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’’ से की थी. कांग्रेस नेता ने कहा था कि यह असाधारण रूपक था. इस मामले में थरूर को जून 2019 में निचली अदालत से जमानत मिल गई थी. शिकायतकर्ता ने कहा था, ‘मैं भगवान शिव का भक्त हूं…. हालांकि, आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिवभक्तों की भावनाओं की पूरी तरह से अवहेलना की (और) ऐसा बयान दिया, जिससे भारत और देश के बाहर सभी शिवभक्तों की भावनाएं आहत हुईं.’
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