RBI Cancels License Of Mumbai-Based The Kapol Co-Operative Bank Costomers Worried For Their Refund – एक और बैंक का लाइसेंस रद्द, 42000 लोगों की 150 करोड़ से ज़्यादा की रकम अटकी
भारतीय रिजर्व बैंक ने बयान में कहा कि लाइसेंस रद्द करने के साथ ही सहकारी बैंक को बैंकिंग कारोबार से तत्काल प्रतिबंधित कर दिया गया है, जिसमें जमा स्वीकार करना और जमा वापस करना शामिल है.
ग्राहकों को मिलेंगे 5 लाख रुपये
रिजर्व बैंक ने कहा कि प्रत्येक जमाकर्ता जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) से 5 लाख रुपये तक की जमा बीमा दावा राशि पाने का हकदार होगा. इस तरह बैंक के लगभग 96.09 प्रतिशत जमाकर्ताओं को DICGC से अपनी पूरी जमा राशि पाने का हक होगा.
क्या कहते हैं अकाउंट होल्डर?
RBI के इस कदम के बाद कई खाताधारकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. 52 सालों से मुंबई में हार्डवेयर स्टोर चला रहे 70 साल के कारोबारी राजेश पटेल परेशान हैं. NDTV से बातचीत में उन्होंने बताया, “किसी तरह 5 लाख रुपये निकल आए, लेकिन करीब 4 लाख रुपये अब भी ‘द कपोल को-ऑपरेटिव बैंक’ में अटके हैं.”
राजेश पटेल बताते हैं, “20 साल पहले अकाउंट खोला था. भरोसा था. अब क्या करेंगे पता नहीं. पैसे मिलने की उम्मीद कम ही बची है.”
बैंक के मुताबिक, पांच लाख से कम जमा राशि वाले 41000 जमाकर्ता हैं, जिनमें करीब 36 करोड़ रुपये चुकाने हैं. वहीं, पांच लाख से ऊपर जमा राशि वाले करीब 1622 जमाकर्ता हैं, जिनके करीब 131 करोड़ रुपये अटके हैं. आंकड़ों की मानें तो DICGC से अब तक 240 करोड़ रुपये कपोल को-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को भेजे जा चुके हैं.
DICGC को रिफंड करनी होगी रकम
बैंक की फिक्र ये है कि ये रकम DICGC को रिफंड करनी होगी, यानी रिकवरी से आये पैसे जमाकर्ताओं के बजाये DICGC को देने पड़ेंगे. ऐसे में बैंक अब इन नियमों में थोड़े बदलाव की आस में है.
लोन नहीं दे सकता बैंक
केंद्रीय बैंक ने कहा कि कलर मर्चेंट्स कोऑपरेटिव बैंक उसकी पूर्व-अनुमति के बगैर न तो कर्ज दे सकता है और न ही पुराने ऋण का नवीनीकरण कर सकता है.इसके अलावा कोई निवेश करने और नई जमा राशि स्वीकार करने से भी उसे रोक दिया गया है. आरबीआई ने कहा है कि एक जमाकर्ता को बैंक के भीतर अपनी कुल जमा में से 50,000 रुपये से अधिक राशि की निकासी की मंजूरी नहीं होगी.
क्या कहती हैं बैंक की सीईओ?
‘द कपोल को-ऑपरेटिव बैंक’की सीईओ ब्रिजिना आर कौटिन्हो ने NDTV से कहा, “अगर DICGC को इंश्योरेंस भरा जाता है तो रिफंड क्यों लेना. फिर हम अकाउंट होल्डर को कैसे देंगे पैसे. वो तो रिफंड में चला जायेगा ना. इसलिए इस नियम में थोड़े बदलाव हों. हम इस अपील के साथ आरबीआई से मिलने जा रहे हैं. 35 सालों का मेरा बैंकिंग एक्सपीरियंस है. ऐसे हालात में बड़े तौर पर डिपोज़िटर्स ही बिकता है.”
क्या कहते हैं फाइनेंशियल एक्सपर्ट ?
फाइनेंशियल एक्सपर्ट और ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के सीईओ पंकज मठपाल बताते हैं, “DICGC से पांच लाख तक का अमाउंट तो मिल जाएगा, लेकिन उससे ऊपर वालों का पैसा मिलना मुश्किल है.”
समुदाय-संचालित कपोल सहकारी बैंक की स्थापना 1939 में हुई थी. वर्तमान में इसकी 15 ब्रांच हैं, जिनमें से 14 मुंबई में और एक सूरत में है. बिगड़ती वित्तीय हालत के चलते 30 मार्च 2017 को आरबीआई ने बैंक के किसी भी तरह के डिपॉजिट और क्रेडिट पर पाबंदी लगायी थी. बैंक का कहना है 2014 से अब तक करीब 500 करोड़ की रिकवरी कर ली गई है, लेकिन तकरीबन 100 करोड़ का एनपीए बोझ बाकी है. ऐसे में सवाल ये है कि अगर रिकवरी की हुई रकम आती भी है, तो DICGC को जायेगी तो ऐसे में जमाकर्ताओं का क्या होगा.