rajiv kumar questions exit polls blames mismatch expectations election dates
CEC Rajiv Kumar questioned exit polls: मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने एग्जिट पोल्स पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल्स की वजह से जनता में भ्रम और गलत अपेक्षाएं पैदा हो रही हैं, जिसका प्रभाव चुनाव नतीजों पर पड़ता है. उनका यह बयान महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के मतदान की तारीखों के ऐलान के बाद आया.
राजीव कुमार ने एग्जिट पोल्स के परिणामों पर सवाल उठाते हुए कहा कि “एग्जिट पोल्स की वजह से एक बड़ा भ्रम और विकृति उत्पन्न हो रही है. इन पोल्स पर आधारित अपेक्षाएं लोगों में बढ़ जाती हैं, जिससे मतगणना के बाद परिणामों का असंतोष होता है. यह मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए आत्मचिंतन का समय है.”
मीडिया को मुख्य चुनाव आयुक्त की नसीहत
राजीव कुमार ने मीडिया को इस मुद्दे पर आत्म-निरीक्षण करने की नसीहत दी. उन्होंने कहा, “एग्जिट पोल्स के बारे में हमें देखना चाहिए कि सैंपल साइज क्या था, सर्वे कहां किया गया, परिणाम कैसे आए और अगर परिणाम मेल नहीं खाते तो जिम्मेदारी किसकी है, इस पर खुलासा होना चाहिए.” उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के पास इस पर निगरानी रखने के लिए उपाय हैं और निश्चित रूप से समय आ गया है कि ये मीडिया संगठनों और संस्थाएं कुछ स्व-नियमन करें.
नतीजों की घोषणा और अपेक्षाओं के बीच अंतर
सीईसी के अनुसार, चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद के पहले कुछ घंटों में बेमेल आंकड़े सामने आते हैं, जो मतदाताओं के लिए भ्रमित करने वाले होते हैं. उन्होंने कहा, “वोटों की गिनती मतदान करीब तीन दिन बाद होती है और जब नतीजें के कयास उसी रोज छह बजे से शुरू हो जाती हैं, तो यह कोई वैज्ञानिक आधार पर नहीं होती.”
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “जब मतगणना शुरू होती है, तो नतीजे (टीवी पर) 8.05-8.10 बजे के आसपास आने लगते हैं. यह बकवास है. ईवीएम की पहली गिनती 8.30 बजे शुरू होती है. तो क्या शुरूआती ट्रेंड्स एग्जिट पोल्स को सही ठहराने के लिए होते हैं? हम 9.30 बजे के आसपास वेबसाइट पर परिणाम डालना शुरू करते हैं इसलिए जब असली नतीजे आना शुरू होते हैं तो रुझानों में अंतर दिखता है. यह मिसमैच कभी-कभी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है. इस मुद्दे पर विचार करने की जरूरत हैं.”
‘एग्जिट पोल्स को लेकर आत्ममंथन की जरूरत’
मुख्य चुनाव आयुक्त ने चुनाव नतीजों के साथ-साथ एग्जिट पोल्स की प्रकृति और उनके प्रभाव पर गंभीर विचार की आवश्यकता जताई है. उनका कहना है कि मीडिया और अन्य जिम्मेदार संस्थाओं को एग्जिट पोल्स के लिए भूमिकाओं के लिए खुद में झांकना चाहिए.
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