Rajasthan Assembly Elections 2023 Vasundhara Raje Stronghold Jhalawar And Kota Become Challenge For Congress Ann
Rajasthan Assembly Election 2023: विधानसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सभी राजीनिक पार्टियां विकास के दावों के साथ हर वर्ग और समाज को प्राथमिकता देना की बात कर रही हैं, कहीं जातिगत तो कहीं राजनैतिक समीकरण देखे जा रहे हैं. एक तरफ कांग्रेस की अगुवाई वाली अशोक गहलोत सरकार अपनी योजनाओं और विकास कार्यों के बलबूते रिपीट सरकार बनाने का दावा कर रही है, जबकि बीजेपी राजस्थान में वापसी करने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व सहित स्थानीय नेता लगातार मतदाताओं के बीच पहुंच कर प्रचार-प्रसार में लगे हैं.
सियासी दृष्टिकोण से विधानसभा चुनाव में कोटा का शुमार महत्वपूर्ण सीटों में किया जाता है. कोटा में कुल 6 विधानसभा सीटें हैं, इनमें से तीन पर बीजेपी का कब्जा है, बाकी सीटों पर सत्तारुढ़ कांग्रेस का कब्जा है. वैसे आमतौर पर कोटा को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है, लेकिन पिछली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस काफी हद तक बीजेपी के किले में सेंध लगाने में कामयाब रही थी. झालावाड़ की डग विधानसभा की बात करें तो यहां अधिकांश समय बीजेपी का कब्जा रहा है, क्योंकि इस सीट पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया का वर्चस्व रहा है.
डग सीट पर 7 बार बीजेपी, 2 बार कांग्रेस का रहा कब्जा
झालावाड़ की डग विधानसभा पर इस समय बीजेपी का कब्जा है, यहां से बीजेपी के कालू लाल मेघवाल विधायक हैं. साल 2018 के चुनाव में बीजेपी को यहां से 1 लाख 3 हजार 665 वोट (52 फीसदी वोट) मिले, जबकि दूसरे स्थान पर कांग्रेस के मदन लाल को 84 हजार 152 वोट (42 फीसदी वोट) मिले और बीजेपी 19 हजार 513 वोटों से जीत दर्ज करने में कामयाब रही. साल 2013 की में भी बीजेपी का डग सीट पर कब्जा रहा और बीजेपी प्रत्याशी रामचन्द्र को 1 लाख 3 हजार 113 वोट (62 फीसदी वोट) मिले, जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही और मदन लाल को 52 हजार 716 वोट (32 फीसदी) लोगों ने अपनी पहली पसंद बताई. हालांकि ये जीत के लिए नाकाफी था. पिछले 35 सालों में इस सीट पर बीजेपी को 7 बार जीत मिली और कांग्रेस को दो बार जीत मिली.
2008 से पहले कांग्रेस-बीजेपी को मिली एक बार जीत
कांग्रेस को साल 2008 इस सीट पर बढ़त मिली. कांग्रेस प्रत्याशी मदन लाल को उस चुनाव में 58 हजार 537 वोट (45 फीसदी वोट) मिले. कांग्रेस को बहुत मामूली अतंर 1709 वोटों से जीत मिली. इससे पहले यानि साल 2003 में ये सीट बीजेपी के कब्जे में रही थी. बीजेपी की स्नेहलता को साल 2003 में 62 हजार 123 वोट (56 फीसदी) मिले, उस समय कांग्रेस प्रत्याशी मदन लाल को हार का सामना करना पड़ा था. मदन लाल को 44 हजार 240 वोट मिले थे और उनका वोट परसेंटेज 40 फीसदी रहा था. साल 1998 में मदन लाल 9 हजार 880 वोटों से जीत मिली थी, उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार बाबूलाल वर्मा को हराया था. हालांकि 1993 में बीजेपी के बाबूलाल वर्मा ने मदन लाल को 1 हजार 98 वोटों से हराकर विधानसभा में पहुंचे थे.
वसुंधरा के आने के बाद बीजेपी की बढ़ी ताकत
वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री बनने के बाद हाडौती में बीजेपी की स्थिति और मजबूतो हो गई. झालावाड़ की सभी विधानसभा और लोकसभा सीटों पर बीजेपी का लंबे समय से कब्जा रहा है. बीमारु जिले के रुप में देखा जाने वाला झालावाड़
पर बीजेपी का लम्बे समय से कब्जा चला रहा है. बीमारू रूप में देखा जाने वाला झालावाड़ अब कई सुविधाओं के साथ आगे बढ़ गया है. वसुंधरा राजे के कारण कोटा संभाग में बीजेपी की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन साल 2018 के चुनाव में यहां बराबर की टक्कर रही और कई सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई, जिसमें पीपल्दा, कोटा उत्तर, बारां, सांगोद विधानसभा शामिल हैं.
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