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Rajasthan Assembly Elections 2023 Bharatiya Adivasi Party MLA Candidates Will Be Decided After Winning


Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव साल के अंत में यानी कुछ ही महीने बाद होने वाले हैं. पूरे देश की राजनीतिक पार्टियों की नजर इसी चुनाव पर है. वहीं, राजस्थान के मुख्य राष्ट्रीय पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस को नजर यहां के आदिवासियों पर हैं. इसलिए सीएम गहलोत यहां लगातार दौरे कर रहे थे. वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी 3 बार और गृहमंत्री अमित शाह भी कई बार यहां दौरा कर चुके हैं. लेकिन इन सभी के लिए बड़ी चुनौती बनकर आ रही है भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) जिसकी घोषणा हो चुकी है. अब जब नई पार्टी बनी है तो इसके बारे में जानना जरूरी है. इसको लेकर कई सवाल भी हैं. जानिए भारतीय आदिवासी पार्टी क्या है और कैसे करती है काम. 

पार्टी नई लेकिन संगठन पुराना
राजस्थान में सबसे बड़ा आदिवासी क्षेत्र है, इसके अलावा अन्य एक या दो जगह हिस्सा है. क्योंकि यहां अन्य समाज की तुलना में बड़ी संख्या में आदिवासी रहते हैं. इसी कारण एक विचारधार को लेकर आदिवासी समाज जो कि एक संगठन है वह खड़ा हुआ. पिछले चुनाव ने बीटीपी को सपोर्ट दिया जिससे दो विधायक बने. इसके बाद बड़ी संख्या में आदिवासी जुड़ते गए और खासकर युवा सबसे ज्यादा. नतीजा सामने भी आया, तब आया जन छात्र संघ चुनाव हुए.

उदयपुर संभाग में 30 में से 18 सीटें भील प्रदेश विद्यार्थी मार्च ने जीती. यह मोर्चा भी आदिवासी समाज से ही जुड़ा है. यह कह सकते हैं यूथ विंग. अब इनके कार्यकर्तों का फैलाव ज्यादा हो गया है जिससे आदिवासी समाज एक नई पार्टी लेकर आ रहे है वह है. भारतीय आदिवासी पार्टी. 

सभा के लिए न बड़े होर्डिंग न प्रचार-प्रसार
चुनाव आते ही हमने देखा है कि राजनीतिक पार्टियां लाखों रुपए खर्च कर बड़ी बड़ी सभाएं करती है. भिड़ जुटाने करने के लिए कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में घूमते है. भारी प्रचार प्रसार किया जाता है. भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा के प्रदेश संयोजक पोपट खोखरिया ने एबीपी को आदिवासी समाज का तरीका बताया. पोपट खोखरियां बताते हैं कि हमारे ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सोशल मीडिया पर एक ग्रुप बना हुआ है.

इस ग्रुप में सिर्फ एक मैसेज डालते हैं और इस मैसेज से लोगों आ जाते हैं. ऐसी ही चैन बनी हुई है. इसका उदाहरण शनिवार को मानगढ़ धाम में देखा ही होगा. यहां 3 लाख से ज्यादा लोग आए थे. ना पोस्टर, ना कोई बैनर, ना मीडिया और सोशल मीडिया प्रचार. इतने लोग सिर्फ एक मैसेज से आ गए.

‘हमारा कोई लीडर नहीं, समाज के लोग ही सब कुछ’
उन्होंने बताया कि हमारे इसमें कोई लीडर नहीं है. हमारी सभा में कितने भी लोग आए, मंच नहीं बनता है. हम एक ही जाजम पर समान बैठते हैं. क्योंकि हम अन्य पार्टियों की चली आ रही परंपराओं को खत्म करना चाहते हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में 17 विधायक उम्मीदवार उतारे जाएंगे. अब विधायक उम्मीदवार भी लोग ही चुनते हैं. जैसे डूंगरपुर जिले के चौरासी विधानसभा क्षेत्र के उदाहरण से समझिए. 

यहां करीब 90 पंचायत है. सभी पंचायत मिलकर नाम उम्मीदवारों के नाम तय करती है. पंचायत में भी तय करने से पहले लोगों को बैठक लेकर पूछा जाता है. जैसे इन पंचायतों में 4 उम्मीदवारों के नाम सामने आए. ऐसे में जिसका सबसे ऊपर यानी लोगों ने जिसे पसंद किया है उसे टिकट मिल जाता है. प्रधान, सरपंच के चुनाव में यहीं किया अब विधानसभा की तैयारी है.  

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