Rajasthan: उदयपुर में अगले साल एक बूंद पानी नहीं बरसा तो भी प्यासे नहीं रहेंगे शहरवासी, जानिए कहां कितना हुआ इकट्ठा?
Udaipur Monsoon News: मानसून ने अलविदा कह दिया है. कही औसत से ज्यादा तो कहीं औसत बारिश भी नहीं हुई है. लेकिन झीलों की नगरी उदयपुर की बात करें तो यहां इतनी बारिश हुई है कि यहां अगर वर्ष 2024 ने एक बूंद भी बारिश नहीं हुई तो भी दिसंबर तक पीने का पानी शहरवासियों को मिलता रहेगा. इसके बाद भी व्यवस्था हो जाएगी. अब सवाल यह उठता है कि ऐसा कितना और कहा पानी इकट्ठा हुआ है जिससे हजारों लोगों की प्यास बुझती रहेगी. बड़ी बात यह है कि उससे गर्मियों में भी पर्यटक की आवक बढ़ती रहेगी. जानिए कहां कितना है पानी स्टोरेज.
मानसून की बात करें तो उदयपुर में बारिश का दौर बिपरजॉय तूफान से शुरू हो गया था. तूफान ने 17 और 18 जून को एंट्री ली थी और जमकर बारिश हुई थी. इसके बाद भी बारिश का दौर थमा नहीं और लगातार बारिश होती रही. इससे उदयपुर में औसत बारिश 617 एमएम है. इस बार करीब 12 फीसदी ज्यादा बारिश यानी 77 एमएम ज्यादा बारिश हुई है. यहीं नहीं बारिश का दौर जल्दी शुरू हुआ और देर तक चला.
अब जानिए कहा स्टोरेज है यहां पानी
उदयपुर जिसे झीलों की नगरी कहा जाता है. यहां की जान और शान यहां की झीलें ही है. वैसे तो कई झीलें और जलाशय है, लेकिन उदयपुर के करीब डेढ़ लाख लोगों की प्यास बुझाने का काम यहां की फतेहसागर और पिछोला झील करती है. इन्हीं झीलों से वाटर लेवल अच्छा है और घरों तक पानी भी यहीं से जाता है. अभी यह झीलें पूरी लबालब है. इनमे इतना पानी है कि पूरे साल सप्लाई हो सके. यहीं नहीं उदयपुर में सिर्फ यहीं दो झील नहीं है. इनके अलावा अकोदड़ा, मादड़ी, देवास प्रथम तीन बड़े बांध है, जिनसे झीलों को भरा जाता है. यह झीलें खाली हो जाएगी तो तीनों लबालब बांध से पानी लाया जाएगा. ऐसे में डेढ़ साल तक का पानी उपलब्ध रहेगा.
गर्मियों में भी नहीं खाली होगी झीलें
अक्सर देखा जाता है बारिश के समय हर जगह जलाशय लबालब हो जाते हैं, लेकिन गर्मियों में सुख जाते हैं. लेकिन उदयपुर की झीलें नहीं सूखेगी. इसी कारण गर्मियों में भी यहां पर्यटक आएंगे और झीलों की खूबसूरती का लुत्फ उठाएंगे. उदयपुर जल संसाधन के एसई शैतान सिंह ने बताया कि यह सही है कि जलाशयों में डेढ़ साल तक का पानी उपलब्ध है. गर्मियों में मार्च माह में तीनों बांध से झीलों में पानी छोड़ा जाएगा, जिससे गर्मियों में भी झीलें लबालब रहेगी.
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