Rajasmand Krishna Dham Nathdwara Mandir Stairs Holi Gulal Clean by Mughal King His Beard ann
Rajsamand Nathdwara News: राजस्थान के मेवाड़ में दो प्रसिद्ध कृष्ण धाम हैं. एक सेठों के सेठ सांवलिया सेठ का मंदिर और दूसरा राजसमंद जिले में स्थित नाथद्वारा मंदिर. नाथद्वारा मंदिर की बरसों पुरानी परंपरा है, जहां मंदिर की सीढ़ियों पर लगी गुलाल को बादशाह ने अपनी दाढ़ी के बालों से साफ की है. यहीं नहीं, इसके बाद नगरवासियों ने बादशाह को कंधे पर बैठाकर सवारी भी निकाली. इस कार्यक्रम के पीछे सालों पुरानी कहानी छिपी है.
श्रीनाथजी की हवेली में परंपरानुसार, बादशाह को कंधे पर बैठाकर शहर में पालकी से सवारी निकाली गई. सवारी के बाद बादशाह ने अपनी दाढ़ी से मंदिर की 9 सीढ़ियों से गुलाल को साफ किया. दरअसल, श्रीनाथजी मंदिर में हर साल होली के अगले दिन एक परंपरा का निर्वहन किया जाता है. इसी तरह इस बार भी नाथद्वारा शहर में बादशाह की सवारी निकालने की परंपरा शुरू हुई.
#Rajasthan : #udaipur संभाग के राजसमंद जिले स्थित श्रीनाथ जी मंदिर की सीढ़ियों पर लगी गुलाल को बादशाह ने अपनी दाढ़ी के बाल से साफ किया. फिर निकाली बादशाह की सवारी. कई वर्षों पुरानी परंपरा. @abplive#RajasthanNews #Krishnanagar pic.twitter.com/KtBifRM9hp
— vipin solanki (@vipins_abp) March 27, 2024
मंदिर की 9 सीढ़ियां की दाढ़ी से साफ
शहर के बादशाह गली से बादशाह की सवारी निकाली गई, जो मंदिर परिक्रमा कर श्रीनाथजी के मंदिर पहुंची. यहां पर बादशाह ने अपनी दाढ़ी से मंदिर के सूरज पोल की नवधाभक्ति के भाव से बनी 9 सीढ़ियों को साफ किया. उसके बाद बादशाह को कपड़े और आभूषण भेंट किए गए. फिर परंपरा के अनुसार, मंदिर में उपस्थित लोगों ने बादशाह को खरी-खोटी सुनाई और रसिया गान किया.
यह है मान्यता
इस परंपरा के पीछे क्षेत्र के लोगों की मान्यता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब मंदिरों में भगवान की मूर्तियों को खंडित करता था. वह प्राचीन मंदिरों की मूर्तियां खंडित करते हुए मेवाड़ पहुंचा. बताया जाता है कि जब औरंगजेब मेवाड़ के कृष्ण धाम श्रीनाथजी में पहुंचा और यहां पहुंच कर उसने विग्रह को खंडित करने योजना बनाई. खंडित करने की मंशा से जब वह मंदिर में गया, तो प्रवेश करते ही उसकी आंखों की रोशनी चली गई.
उस समय उनकी बेगम ने भगवान श्रीनाथजी से प्रार्थना कर माफी मांगी, जिसके बाद औरंगजेब की आंखें ठीक हो गई. इसके बाद पश्चाताप के लिए बादशाह औरंगजेब ने अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढ़ियों पर गिरी गुलाल को साफ किया. बादशाह औरंगजेब से शुरू हुई सीढ़ी साफ करने की यह घटना एक परंपरा के रूप में हर साल मनाया जाता रहा है.
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