Punjab Ex CM Beant Singh murder Case Supreme Court SC deferred Balwant Rajoana Plea For 4 weeks ann
Beant Singh Murder Case: पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में फांसी की सजा पा चुके बलवंत सिंह रजोआना की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी गई है. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सरकार से जवाब मिला है, लेकिन मामला काफी संवेदनशील है और अभी विस्तृत जवाब का इंतजार है. जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई टाल दी.
राजोआना ने दया याचिका के निपटारे में देरी का आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सजा कम करने और रिहाई की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि उसकी दया याचिका पर फैसला लेने में एक वर्ष और चार महीने की ‘असाधारण’ और ‘अनुचित’ देरी हुई है.
जानें क्या है पूरा मामला?
यह मामला सुप्रीम कोर्ट की एक विशेष बेंच के अंतर्गत सुना जा रहा है. राजोआना की दलील है कि उसकी याचिका पर हुई देरी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन के अधिकार का उल्लंघन करती है. राजोआना की दलील है कि ये देरी उसकी मानसिक और भावनात्मक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है. बलवंत सिंह राजोआना ने पहले भी ये मांग की थी कि उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला जाए.
राजोआना को 31 अगस्त 1995 को चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए विस्फोट मामले में दोषी पाया गया था. इस घटना में तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के अलावा 16 लोग मारे गए थे. विशेष अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में मौत की सजा सुनाई थी. राजोआना ने अपनी याचिका में कहा है कि मार्च 2012 में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने उसकी ओर से क्षमादान का अनुरोध करते हुए संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 3 मई को राजोआना को सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने से इनकार कर दिया था.
कौन है बलवंत राजोआना?
बलवंत राजोआना आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ने से पहले पंजाब पुलिस का पूर्व कांस्टेबल रह चुका है. 31 अगस्त 1995 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या हुई थी जिसमें राजोआना को दोषी पाया गया और 1 अगस्त 2007 को चंडीगढ़ की एक विशेष सीबीआई अदालत ने इसे मौत की सजा सुनाई थी. इसमें दूसरे आतंकियों के अलावा मुख्य रूप से बलवंत और दिलावर सिंह शामिल थे. दिलावर ने आत्मघाती बम विस्फोट कर बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की हत्या कर दी थी. घटनास्थल पर दिलावर के बैकअप के रूप में मौजूद राजोआना फरार हो गया था.
22 दिसंबर 1995 को बलवंत पकड़ा गया. साल 2007 में उसे निचली अदालत ने फांसी की सजा दी. 2010 में हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा. बलवंत ने खुद तो दया याचिका दाखिल नहीं की, लेकिन 2012 में उसकी फांसी से पहले शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेज दी जिससे उसकी फांसी पर रोक लग गई. हालांकि दया याचिका पर अब तक कोई फैसला नहीं आया है.