President Draupadi Murmu Said Providing Safe, Sensitive Environment In Higher Educational Institutions Should Be A Priority – उच्च शिक्षण संस्थानों में सुरक्षित, संवेदनशील वातावरण प्रदान करना प्राथमिकता हो : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ‘नवोन्मेषण’, ‘अनुसंधान’ और ‘प्रौद्योगिकी विकास’ की श्रेणियों में विजिटर पुरस्कार 2021 प्रदान किए.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 2019 में दो वर्षों के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण से यह ज्ञात हुआ है कि लगभग 2500 विद्यार्थियों ने आईआईटी में अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी और उन विद्यार्थियों में लगभग आधे विद्यार्थी आरक्षित वर्गों से आए थे.
मुर्मू ने कहा कि ड्रापआउट (पढ़ाई बीच में छोड़ना) की समस्या पर बहुत संवेदनशीलता के साथ विचार करने और समाधान निकालने की आवश्यकता है.पिछले दिनों आईआईटी दिल्ली में एक छात्र के आत्महत्या करने का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘आत्महत्या की दुखदाई घटनाएं कई शिक्षण संस्थानों में हुई हैं. मेरी बात किसी संस्थान विशेष तक सीमित नहीं है. यह पूरे शिक्षा जगत के लिए चिंता का विषय है.”
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के परिसरों में छात्रों को तनाव, अपमान और उपेक्षा से बचाने तथा उन्हें सहारा देना संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए. मुर्मू ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में आने वाले पहली पीढ़ी के छात्रों के प्रति संवेदनशीलता का वातावरण बनाये रखना सामाजिक दायित्व भी है.उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से एक संयुक्त परिवार का मुखिया अपने परिवार के हर सदस्य का ध्यान रखते हैं, उसी प्रकार से शिक्षकों, संस्थान के प्रमुखों को भी सभी विद्यार्थियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि परिसर एवं छात्रावास में घर जैसा सुरक्षित एवं संवेदनशील वातावरण मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिक्षकों एवं संस्थानों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्यार्थी तनाव से मुक्त होकर अध्ययन कर सकें. राष्ट्रपति मुर्मू ने समारोह में मौजूद उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से पूछा, ‘‘क्या ऐसा हो सकता है.”उन्होंने कहा कि इसी वर्ष फरवरी में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के दीक्षांत समारोह में उन्होंने कुछ बुनियादी सवालों का उल्लेख किया था जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों में महिलाओं के लिए शौचालय सुविधा, विश्वस्तरीय प्रयोगशालाएं, देश एवं समाज की जरूरतों के अनुरूप शोध, दिव्यांगों से संबंधित सुविधा आदि शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि इन बुनियादी प्रश्नों के उत्तर में, हमारे उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता, उपयोगिता और संवेदनशीलता के मानक विद्यमान हैं. राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मैं समझती हूं कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं का नेतृत्व और भी अधिक प्रभावी सिद्ध हो सकता है. मेरा आग्रह है कि अपने-अपने संस्थानों में आप सब इस पक्ष पर अवश्य ध्यान दें.”
उन्होंने समारोह में मौजूद उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुखों से कहा कि संस्थानों के प्रमुखों के तौर पर आप सभी की प्रमुख जिम्मेदारी भारत को ज्ञान के ‘सुपर पावर’ के रूप में बदलना है.मुर्मू ने कहा कि आजकल कृत्रिम बुद्धिमता की चर्चा हो रही है. हमारे प्रौद्योगिकी संस्थानों को ऐसे क्षेत्रों में पहल करनी होगी.
उन्होंने कहा, ‘‘उच्च-शिक्षण संस्थानों में युवाओं के चरित्र-निर्माण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. सदाचरण, संवेदनशीलता और परोपकार के भारतीय मूल्यों के आधार पर शिक्षा का उपयोग करने में विद्यार्थियों को सक्षम बनाना है.”राष्ट्रपति ने कहा कि अमृतकाल के दौरान 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित करने के लक्ष्य को हासिल करने में उच्च शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है.
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