PM Modis BJP Eye On Tribal Vote Bank Congress Also Gave Place In Loksabha Election Manifesto – Analysis : PM मोदी के मिशन-370 में मदद करेंगे आदिवासी? आखिर कांग्रेस से क्यों खिसका ये वोट बैंक
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) को लेकर पक्ष और विपक्ष ने पूरी ताकत झोंक दी है. सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और राहुल गांधी दोनों ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में चुनाव प्रचार किया. पीएम मोदी बस्तर तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) सिवनी में थे. कई राज्यों में आदिवासी वोट चुनाव परिणामों पर बड़ा प्रभाव डालते हैं. आजादी के बाद से ही आदिवासी वोटों पर कांग्रेस का एकाधिकार रहा था. लेकिन पिछले दस साल में बीजेपी ने कांग्रेस से आदिवासी वोटों को अपने पाले में डालने में सफलता प्राप्त की है. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि कैसे बीजेपी लंबे अभियान के जरिए आदिवासी वोटों को अपने पाले में पूरी तरह से लाने के प्रयास में है.
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आंकड़ें क्या कहते हैं?
भारत में आदिवासियों की आबादी 8.6% है. आदिवासियों के लिए आरक्षित लोक सभा सीटें 47 है. मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 6 लोक सभा सीटें हैं. झारखंड, ओडिशा में 5-5. छत्तीसगढ़, गुजरात और महाराष्ट्र में 4-4 राजस्थान में 3, असम, मेघालय, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना में 2-2. आंध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, दादरा-नागर हवेली और लक्षद्वीप में 1-1 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं. पिछले दो लोक सभा चुनाव में बीजेपी ने आदिवासियों के लिए आरक्षित अधिकांश सीटों पर जीत हासिल की है.
आदिवासी बहुल सीटों पर विधानसभा चुनाव में भी डंका
आदिवासी वोटों पर बीजेपी की यही पकड़ विधानसभा चुनावों में भी दिखाई दी है. चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने आदिवासियों के लिए आरक्षित अधिकांश सीटें जीतीं है. हाल ही में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में आरक्षित 47 सीटों में से बीजेपी को 24 सीटें मिली वहीं कांग्रेस के हाथ 22 सीटें आयी थी एक सीट पर अन्य का कब्जा था. वहीं छत्तीसगढ़ में आरक्षित 29 सीटों में 17 पर बीजेपी को जीत मिली थी वहीं 11 पर कांग्रेस और 2 पर अन्य को जीत मिली थी. राजस्थान में आरक्षित सीटें 27 सीटों में से बीजेपी 23 कांग्रेस 3 अन्य को 1 पर जीत मिली थी.
बीजेपी के प्रति बढ़ा है आदिवासी वोटर्स का रुझान
आंकड़े यह भी बताते हैं कि हर चुनाव के साथ आदिवासी और अधिक मजबूती के साथ बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. पिछले चार लोक सभा चुनावों के आंकड़ें उठा कर देखें तो पता चलता है कि बीजेपी के प्रति आदिवासियों का रुझान लगातार बढ़ रहा है. लोकनीति सीएसडीएस के पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक 2004 लोक सभा चुनाव में बीजेपी को 28 जबकि कांग्रेस को 37 प्रतिशत आदिवासी वोट मिले थे. 2009 में बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 38 प्रतिशत आदिवासी वोट मिले थे. 2014 में बीजेपी को 38 जबकि कांग्रेस को 28 प्रतिशत वोट मिले थे. 2019 में बीजेपी को 44 जबकि कांग्रेस को 31 प्रतिशत वोट मिले थे.
मोदी सरकार ने आदिवासियों को साधने के लिए उठाए कई कदम
पिछले दस साल में मोदी सरकार ने आदिवासियों को अपने पाले में लाने के लिए बहुत जोर लगाया है. इसके लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं.
- देश को पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
- पीएम मोदी झारखंड में बिरसा मुंडा के गांव गए
- 24,000 करोड़ रुपए के PM-PVTG मिशन (Prime Minster Particularly Vulerable Tribal Groups Mission)की शुरुआत
- मिशन में रोड, टेलीकॉम कनेक्टिविटी, बिजली, घर, पानी, /// शौचालय, शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य और जीविका पर फोकस
- 220 जिलों में 75 PVTG जिनकी आबादी करीब 28 लाख
- एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल
- मॉडल गांवों का निर्माण
- समान नागरिक संहिता से आदिवासियों को अलग रखना
- एमपी में रानी दुर्गावती गौरव यात्रा निकालना
- रेलवे स्टेशन का नाम टांट्या भील पर रखना
आदिवासी मतों के लिए कांग्रेस ने भी लगाया जोर
कांग्रेस आदिवासियों में अपनी खोई जमीन हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है. कांग्रेस के घोषणा पत्र में आदिवासियों से जुड़ी छह प्रमुख घोषणाओं को शामिल किया गया है. कांग्रेस ने आदिवासियों के जल जंगल और जमीन को बचाने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई है.
- सुशासन- वन अधिकार कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय मिशन की स्थापना
- सुधार – वन संरक्षण और भूमि अधिग्रहण में मोदी सरकार द्वारा किए गए सभी संशोधनों को वापस लेना
- सुरक्षा- सभी राज्यों और यूटी में आदिवासी बहुल इलाकों को Scheduled Areas के रूप में नोटिफाई करना
- स्वशासन – पेसा (Panchayat Extension to Scheduled Areas Act) के अनुसार राज्य कानून बना कर गांव सरकार और स्वायत्त जिला सरकार बनाना
- स्वाभिमान एमएसपी को कानूनी गारंटी देना जिसमें लघु वनोपज भी शामिल.
- सब प्लान बजट में ट्राइबल सब प्लान को वापस लाना
विश्लेषक की क्या है राय?
आदिवासी मतदाताओं के बीजेपी की तरफ बढ़ते रुझान को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी का कहना है कि इसके पीछे का मुख्य कारण राजनीतिक प्रतिनिधित्व है. कांग्रेस पार्टी के पास आज के समय में आदिवासी समाज का कोई भी बड़ा नेता नहीं है. कहीं न कहीं आदिवासी समाज को लगा है कि कांग्रेस में उसकी उपेक्षा हुई है. सिर्फ एससी सुरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ाने से आदिवासियों को कांग्रेस साध नहीं सकती है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने आदिवासी को देश का राष्ट्रपति भी बनाया है. साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस की घोषणापत्र अच्छी है लेकिन क्या वो आम वोटर्स तक पहुंचेगी, ये सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के लिए होगी.
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