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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट में भारत और पाकिस्तान के रिश्तों से जुड़े सवाल का जवाब दिया. उन्होंने पाकिस्तान की विचारधारा पर सवाल उठाते हुए साफ शब्दों में कहा कि दुनिया में जहां कहीं भी आतंकी हमला होता है, उसके तार पाकिस्तान से जुड़ते हैं और पड़ोसी देश को आतंकवाद का पोषण छोड़ देना चाहिए. पीएम मोदी ने कहा कि 1947 से पहले, आजादी की लड़ाई सब लोग कंधे से कंधा मिलाकर लड़ रहे थे. देश आजादी के जश्न मनाने का इंतजार कर रहा था. उस समय जो भी नीति निर्धारक लोग थे, उन्होंने भारत के विभाजन को स्वीकार किया. भारत के लोगों ने सीने पर पत्थर रखकर बड़ी पीड़ा के साथ मुसलमानों को अपना देश देने की बात मान ली. इसका परिणाम भी तभी सामने आ गया, लाखों लोग कत्लेआम में मारे गए. पाकिस्तान से ट्रेनें भर-भरकर लाशें आने लगीं. बहुत डरावने दृश्य थे.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान ने इसके बाद भी सुख से जीने की बजाय संघर्ष का रास्ता चुना. अब प्रॉक्सी वॉर चल रहा है. यह कोई विचारधारा नहीं है कि मारो-काटो. टेररिस्टों को एक्सपोर्ट करने का काम चल रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया में जहां भी आतंकी हमला होता है, उसके सूत्र किसी न किसी तरह पाकिस्तान से जुड़ते हैं. उदाहरण के लिए, 11 सितंबर के हमलों को ही लें. इसके पीछे मुख्य सूत्रधार ओसामा बिन लादेन, वह आखिरकार कहां से मिला? उसने पाकिस्तान में शरण ली थी. दुनिया पहचान चुकी है कि पाकिस्तान केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए परेशानी का केंद्र बन गया है. भारत लगातार उनसे सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को छोड़ने के लिए कहता रहा है. यहां तक कि प्रधानमंत्री बनने के बाद शांति के प्रयास में वह स्वयं लाहौर चले गए थे. उन्होंने कहा कि जब वह पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे तो पाकिस्तान को विशेष रूप से आमंत्रित किया ताकि हम एक शुभ शुरुआत कर सकें. लेकिन हर अच्छे प्रयास का परिणाम नकारात्मक निकला.
रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या बोले पीएम मोदी?
प्रधानमंत्री मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शांति जैसे मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि इस समय सार्थक बातचीत का सही अवसर है और वार्ता में दोनों पक्षों को शामिल करना जरूरी है. भारत की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि हमारा देश गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है, और हम शांति के लिए समर्पित हैं. पीएम मोदी ने पॉडकास्ट के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत की भूमिका से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए बताया, मैं उस देश का प्रतिनिधित्व करता हूं जो भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है. ये वे महान आत्माएं हैं जिनकी शिक्षाएं, शब्द, कार्य और व्यवहार पूरी तरह से शांति के लिए समर्पित हैं.
भारत-पाकिस्तान में कौन सी टीम बेहतर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय क्रिकेट टीम के हाल के वर्षों में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ दबदबा बनाए रखने के संदर्भ में रविवार को कहा कि वह क्रिकेट विशेषज्ञ नहीं हैं लेकिन नतीजों से पता चलता है कि कौन सी टीम बेहतर है. भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमों के संदर्भ में मोदी ने कहा, ‘‘‘मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं और मैं इस खेल के तकनीकी पक्षों के बारे में नहीं जानता। इसका जवाब केवल विशेषज्ञ ही दे सकते हैं लेकिन कुछ दिन पहले भारत और पाकिस्तान के बीच मैच खेला गया था. इसके नतीजे से पता चलता है कि कौन सी टीम बेहतर है. हम इसको इसी तरह से जानते हैं.
गुजरात दंगों को लेकर क्या बोले पीएम मोदी?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि गुजरात में 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों को लेकर एक झूठी कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया था और केंद्र की सत्ता में बैठे उनके राजनीतिक विरोधी चाहते थे कि उन्हें सजा मिले, लेकिन अदालतों ने उन्हें निर्दोष साबित किया. मोदी ने कहा कि यह धारणा गलत सूचना फैलाने का एक प्रयास था कि 2002 के दंगे गुजरात में अब तक के सबसे बड़े दंगे थे.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप 2002 से पहले के आंकड़ों की समीक्षा करेंगे तो आप पाएंगे कि गुजरात में लगातार दंगे हुए. कहीं-कहीं तो लगातार कर्फ्यू लगाया जाता था. सांप्रदायिक हिंसा पतंगबाजी प्रतियोगिता या यहां तक कि साइकिल टक्कर जैसे छोटे मुद्दों पर भी भड़क जाया करती थी.’’ मोदी ने कहा कि गोधरा ट्रेन अग्निकांड उनके गुजरात विधानसभा का सदस्य चुने जाने के मुश्किल से तीन दिन बाद हुआ. उन्होंने कहा, ‘‘यह अकल्पनीय त्रासदी थी, लोगों को जिंदा जला दिया गया. कंधार विमान अपहरण, संसद पर हमला या यहां तक कि 9/11 जैसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में आप कल्पना कर सकते हैं और फिर इतने सारे लोगों को मार दिया गया और जिंदा जला दिया गया, आप कल्पना कर सकते हैं कि स्थिति कितनी तनावपूर्ण और अस्थिर थी. मोदी ने कहा कि गोधरा में हुई बड़ी घटना चिंगारी फैलने का केंद्र बिंदु थी और फिर हिंसा हुई.
ट्रंप के साथ रिश्तों पर क्या बोले पीएम मोदी?
पीएम मोदी ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता है और वे बेहतर तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, क्योंकि वे हर चीज से ऊपर अपने राष्ट्रीय हितों को रखने में विश्वास करते हैं. लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट में मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक साहसी व्यक्ति बताया, जिसने अपने फैसले खुद किए और जो अमेरिका के प्रति अटूट रूप से समर्पित रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उनका यह समर्पण उस वक्त भी दिखा जब पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें गोली मार दी थी. पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में पहले की तुलना में कहीं अधिक तैयार दिखाई दे रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान उन्हें ट्रंप की टीम के सदस्यों से मिलने का अवसर मिला. उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि उन्होंने मजबूत और सक्षम टीम बनाई है. और इतनी मजबूत टीम के साथ, मुझे लगता है कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के दृष्टिकोण को लागू करने में पूरी तरह सक्षम हैं. प्रधानमंत्री ने सितंबर 2019 में ह्यूस्टन में खचाखच भरे एनआरजी स्टेडियम में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ सामुदायिक कार्यक्रम को याद किया और बताया कि किस तरह ट्रंप ने दर्शकों के बीच बैठकर उनका भाषण सुना था.
उन्होंने कहा, यह उनकी विनम्रता है जब मैं मंच से बोल रहा था तब अमेरिका के राष्ट्रपति श्रोताओं में बैठे थे, यह उनका शानदार भाव था।’’ प्रधानमंत्री ने यह भी याद किया कि कैसे अमेरिकी सुरक्षा व्यवस्था में उस समय खलबली मच गई थी जब उन्होंने ट्रंप से दर्शकों का अभिवादन करने के लिए खचाखच भरे स्टेडियम का दौरा करने को कहा था और वह बिना किसी हिचकिचाहट के सहमत हो गए थे. उन्होंने कहा, उनकी पूरी सुरक्षा सकते में आ गई थी. लेकिन मेरे लिए वह क्षण वास्तव में दिल को छू लेने वाला था. इससे पता चला कि इस आदमी में हिम्मत है. वह अपने फैसले खुद करते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने उस पल में मुझ पर और मेरे नेतृत्व पर भरोसा किया कि वह मेरे साथ भीड़ के बीच चले गए.’’
‘दुनिया कुछ भी कर ले, भारत के बिना एआई अधूरा है’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), शिक्षा, लर्निंग एंड फोकस, मंत्र और मेडिटेशन जैसे विषयों पर खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है. एआई के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व को लेकर पॉडकास्ट में पूछे गए सवाल पर पीएम मोदी ने कहा, दुनिया एआई के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन भारत के बिना एआई अधूरा है. एआई डेवलपमेंट एक कोलैबोरेशन है, यहां हर कोई एक-दूसरे को अपने अनुभव और लर्निंग से सपोर्ट कर सकता है. इंडिया सिर्फ इसका मॉडल नहीं बना रहा, बल्कि इसके विशेष उपयोग के मामलों के हिसाब से एआई आधारित एप्लिकेशन को भी विकसित कर रहा है.
‘भारत और चीन के संबंध नए नहीं’
अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन के मौजूदा रिश्तों पर टिप्पणी की. चीन के साथ पूर्व में तनाव के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवाद के बजाय बातचीत का समर्थन किया और कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद स्वभाविक हैं, लेकिन मजबूत सहयोग दोनों पड़ोसियों के हित में है और यह वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और चीन सीमा पर 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर झड़पों से पहले वाली स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. वर्ष 1975 के बाद पहली बार दोनों देशों के बीच टकराव ने संघर्ष का रूप ले लिया था. इस संघर्ष में दोनों पक्षों के जवानों की मौतें हुई थी.
पीएम मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ अपनी बैठक का जिक्र करते हुए कहा, “राष्ट्रपति चिनपिंग के साथ हाल में हुई बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है. हम अब 2020 से पहले की स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, विश्वास, उत्साह और ऊर्जा वापस आनी चाहिए, लेकिन स्वाभाविक रूप से, इसमें कुछ समय लगेगा, क्योंकि पांच साल हो गए हैं.’’
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए लाभकारी है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए भी आवश्यक है. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि 21वीं सदी एशिया की सदी है, हम चाहते हैं कि भारत और चीन स्वस्थ और स्वाभाविक तरीके से प्रतिस्पर्धा करें. प्रतिस्पर्धा बुरी चीज नहीं है, लेकिन इसे कभी संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए.’’ पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध नये नहीं हैं, क्योंकि दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यताएं प्राचीन हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक दुनिया में भी वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि आप ऐतिहासिक रिकॉर्ड को देखें तो सदियों से भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखा है.