PM Modi talks about his father s discipline in podcast with Lex Fridman says People told time by his footsteps
PM Modi Lex Fridman Podcast: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लेक्स फ्रिडमैन के साथ पॉडकास्ट में अपने बचपन, पारिवारिक मूल्यों, गरीबी के अनुभव और अनुशासन के महत्व पर विचार साझा किए. उन्होंने अपने पिता के सख्त अनुशासन और अपनी मां के त्याग के बारे में विस्तार से बताया.
उन्होंने कहा कि उनका बचपन एक मिट्टी के फर्श वाले छोटे से कमरे में बीता, लेकिन परिवार ने कभी गरीबी को बोझ की तरह महसूस नहीं किया. उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, बच्चों को कोई अभाव महसूस न हो.
प्रधानमंत्री मोदी के पिता का अनुशासन और उनकी दिनचर्या
पीएम मोदी ने अपने माता-पिता की मेहनत और अनुशासन को याद करते हुए कहा, “हमारी मां ने बहुत मेहनत की. मेरे पिता भी बहुत अनुशासित थे. वह हर सुबह 4:00 या 4:30 बजे घर से निकलते थे, मंदिरों में जाते थे और फिर अपनी दुकान पर काम करने पहुंचते थे.”
प्रधानमंत्री ने यह भी याद किया कि जब उनके पिता गांव से गुजरते थे, तो उनके पारंपरिक चमड़े के जूतेपारंपरिक चमड़े के जूते पहने थे, जो गांव में हाथ से बने थे. जब वह चलते थे, तो उनके जूतों की ‘टक, टक, टक’ की आवाज़ आती थी. गांव के लोग सिर्फ उनकी कदमों की आवाज़ सुनकर ही समय का अंदाजा लगा सकते थे और कहते थे,”अरे हां, मिस्टर दामोदर आ रहे हैं,”
जूते की पहली जोड़ी और आत्मनिर्भरता की सीख
पीएम मोदी ने बताया कि बचपन में उन्होंने और उनके भाई-बहनों ने कभी जूते पहनने के बारे में नहीं सोचा. उन्होंने कहा,”जो व्यक्ति बढ़िया जूते पहनने का आदी होता है, उसे उनकी कमी महसूस होती है,लेकिन हमने कभी जूते पहने ही नहीं थे, तो हमें पता ही नहीं था कि यह कोई बड़ी बात है.”
उन्होंने आगे कहा कि एक दिन, उनके चाचा ने उन्हें नंगे पैर स्कूल जाते देखा और हैरान रह गए. उन्होंने तुरंत 10-12 रुपये की कीमत वाले सफेद कैनवास के जूते खरीदकर दिए. हालांकि, इन्हें साफ रखना एक चुनौती थी.
पीएम मोदी ने बताया, “शाम को स्कूल से आने के बाद मैं क्लासरूम से बचे हुए चाक के टुकड़े इकट्ठा करता, उन्हें पानी में भिगोकर पेस्ट बनाता और उसी से अपने जूतों को चमकाने के लिए पॉलिश करता।”
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