PM Modi Laid Foundation Stone Related To Muslim Country UAE from India This Move china in tension
Dragon Mart VS Bharat Mart: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ दिन पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दौरे पर गए थे. जहां उन्होनें व्यापार संबंधित कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया. इस दौरान उन्होंने चीन की नींद उड़ा देने वाले भारत मार्ट की आधारशिला भी रखी. पीएम मोदी के साथ यूएई के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम भी मौजूद रहे.
दरअसल भारत मार्ट को ड्रैगन मार्ट की काट माना जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि भारत मार्ट प्रोजेक्ट से भारत के निर्यातकों को फायदा होगा. ये मार्ट साल 2025 तक दुबई में बनकर तैयार हो जाएगा. इसका निर्माण दुबई के अली बंदरगाह के नजदीक होगा और ये करीब एक लाख वर्गकिलोमीटर से ज्यादा के इलाके को कवर करेगा. जिसमें शोरूम, गोदाम, ऑफिस के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी होंगी.
भारत के लिए वरदान
इसके अलावा यहां से सामान खरीदने आने वाले दुनियाभर के खरीदारों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म भी विकसित किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट को भारत के साथ-साथ दुबई के लिए अहम माना जा रहा है. इस जगह से भारत की एमएसएमई कंपनियों की अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों तक पहुंच आसान हो पाएगी. एमएसएमई कंपनियों के लिए ये एक वरदान के रूप में माना जा रहा है.
Earlier today, @HHShkMohd and I laid the foundation stone for Bharat Mart in Jebel Ali. This will boost India-UAE economic linkages and will particularly help our MSMEs to explore global markets. pic.twitter.com/4YZyAkBAJp
— Narendra Modi (@narendramodi) February 14, 2024
चीन को क्यों है चिंता?
दरअसल, जब से पीएम मोदी ने दुबई में भारत मार्ट की नींव रखी है तह से चीन को चिंता होने लगी है. उसकी चिंता का सबसे बड़ा कारण ये है कि जिस जगह पर भारत मार्ट बन रहा है उसी के पास चीन का सबसे बड़ा इंटरनेशनल बिजनेस सेंटर ड्रैगन मार्ट बना हुआ है. ड्रैगन मार्ट भी एक लाख 50 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 4 हजार रिटेल की दुकानें हैं. इतना ही नहीं इसी के पास ड्रैगन मार्ट- 2 भी खोला गया है. अब उसी जगह के पास इंडिया की एडवांस टेक्नोलॉजी पर भारत मार्ट बनने जा रहा है.
भारत मार्ट के आने के बाद न सिर्फ चीन को चुनौती मिलेगी बल्कि मिडिल ईस्ट, सेंट्रल एशिया, यूरोप के साथ-साथ दूसरे पश्चिमी देशों के बाजार पर भारत के प्रोडक्ट्स का प्रभाव भी देखने को मिलेगा. इसी बात की चिंता चीन को सता रही है.