PM Modi Ayodhya Visit Airport Named After Maharishi Valmiki Met Dalit Family Big Political Message For Lok Sabha Election 2024
PM Modi Ayodhya Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (30 दिसंबर) को अयोध्या को हजारों करोड़ रुपये की सौगात दी. इस दौरान उन्होंने अयोध्या में एयरपोर्ट का उद्घाटन किया. इस हवाई अड्डे का नाम महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया है. इसके अलावा पीएम मोदी निषाद राज के घर भी पहुंचे और लोगों से श्रीराम ज्योति जलाने के आह्वान किया. इन सभी चीजों को लेकर देशभर में चर्चा हो रही है. जहां एक ओर इसके धार्मिक मायने निकाले जा रहे हैं तो वहीं इन सभी चीजों को सियासी संदेश के रूप में भी देखा जा रहा है.
रामलला 22 जनवरी 2024 को भव्य मंदिर में विराजमान होंगे, लेकिन पीएम मोदी ने 30 दिसंबर से ही अयोध्या के माहौल में उत्साह भर दिया है और देश की फिजा में भक्ति का रंग घोल दिया है. पीएम मोदी शनिवार को राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या वासियों को कई सौगात देने पहुंचे.
अयोध्या में पीएम मोदा का रोड शो
अयोध्या पहुंचने पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पीएम मोदी स्वागत किया. कुछ देर बाद उनका काफिला अयोध्यावासियों के बीच पहुंच गया. इसके साथ ही सुबह 11 बजे पीएम मोदी का रोड शो शुरू हो गया, जो दोपहर 12 बजे खत्म हुआ.
पीएम मोदी ने निषाद समुदाय को दिया न्योता
इसके बाद पीएम मोदी ने अयोध्या रेलवे स्टेशन की नई बिल्डिंग का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम ने अयोध्या से अमृत भारत और वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इसके बाद पीएम यहां निषाद परिवार से जुड़े रविंद्र मांझी के घर पहुंचे और प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आने के लिए अयोध्या के निषाद समुदाय को न्योता दिया.
इसके बाद पीएम मोदी ने उज्जवला योजना की लाभार्थी मीरा मांझी के हाथ की बनी चाय पी. पीएम मोदी मीरा के घर करीब 15 से 20 मिनट रहे. इसके बाद पीएम मोदी ने महर्षि वाल्मीकि इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया. पीएम ने वहां यात्री सुविधाओं के बारे में जानकारी ली. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने थ्री डी मॉडल के जरिये एयरपोर्ट के बारे में जानकारी दी.
एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि क्यों रखा?
एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकि रखने के पीछे 2024 का सियासी संदेश छिपा है. इसका असर निषाद और वाल्मीकि समाज पर पड़ेगा. विपक्ष भी पीएम मोदी के इस फैसले का विरोध नहीं कर पा रहा है. महर्षि वाल्मीकि एयरपोर्ट से न सिर्फ अयोध्यावासी बल्कि देशभर के सभी रामभक्त मंत्रमुग्ध हो गए हैं.
राम मंदिर की तरह ही नागर शैली में तैयार किया गया यह एयरपोर्ट सिर्फ एयरपोर्ट भर नहीं है, ये वह लॉन्चिंग पैड है, जहां से प्रधानमंत्री मोदी 2024 की सियासी उड़ान को नया आयाम देने वाले हैं. राम मंदिर से चंद किलोमीटर की दूरी पर बनकर तैयार इस एयरपोर्ट से बीजेपी ऐसी सियासी उड़ान की तैयारी में है, जिसके इर्द-गिर्द कोई विरोधी नहीं हो.
दलित वोटर्स को साधने की कोशिश
अयोध्या में पीएम मोदी के दौरे की मदद से बीजेपी ने दलितों को साधने की कोशिश की है. इसके लिए पीएम ने एयरपोर्ट का नाम बदलकर महर्षि वाल्मीकि के नाम पर कर दिया गया है. महर्षि वाल्मीकि को दलित समुदाय अपना आराध्य मानता है. दलित समुदाय जो ना सिर्फ उत्तर प्रदेश में बल्कि समूचे देश में एक अहम फैक्टर है.
उत्तर प्रदेश में दलित वोटरों की रेहनुमाई करने वाली मायावती चार बार सत्ता के शीर्ष पर पहुंचीं. यूपी में मायावती की BSP के अलावा चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी है, जिसकी नजर दलित वोट बैंक पर है. वहीं, बिहार में पासवान परिवार की दो पार्टियां और जीतनराम मांझी की हम पार्टी है, जिनकी राजनीति दलित वोट बैंक पर टिकी है. इसके अलावा महाराष्ट्र में रामदास अठावले की पार्टी RPI है, जो दलित समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं. बीएसपी और आजाद समाज पार्टी को छोड़कर ज्यादातर पार्टियां बीजेपी के साथ ही हैं.
पीएम मोदी के मास्टरस्ट्रोक विरोधी चित्त
मोदी सरकार के इस मास्टरस्ट्रोक का उनके राजनीतिक विरोधियों ने भी समर्थन किया है. इनमें समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य शामिल हैं. मौर्या ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि के नाम पर एयरपोर्ट बनना स्वागत योग्य है. वहीं, चंद्रशेखर आजाद ने भी सरकार का धन्यवाद कहा है.
70 से ज्यादा सीटों पर दलितों का प्रभाव
दलित वोटर्स BJP के 2024 के प्लान का अहम हिस्सा हैं, क्योंकि अगर बीजेपी दलितों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब हो जाती है तो 2024 के रण में उनकी राह आसान हो जाएगी. दरअसल, 2011 की जनगणना के मुताबिक देश के 640 जिलों में से 41 जिले में दलितों की आबादी 25 से 30 फीसदी के बीच है. वहीं, 29 जिले देश के ऐसे हैं जहां 30 से 40 फीसदी दलित हैं, जबकि 4 जिलों में दलितों की आबादी 40 से 50 फीसदी के बीच हैं. यानि देश के 70 से ज्यादा जिलों में इनकी आबादी 25 फीसदी से ज्यादा है.
यह भी पढ़ें- मोदी की ‘राम प्रतिज्ञा’! जब टेंट में थे रामलला, पीएम ने लिया था प्रण, 29 साल नहीं किए दर्शन