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PM मोदी का ‘स्वच्छ भारत मिशन’ कैसे दे रहा है बच्चों को जीवनदान?



PM Modi Successful Mission : 2 अक्टूबर 2014 की तारीख. अपने आप में एक इतिहास. खुले में शौच की कुप्रथा को समाप्त करने के उद्देश्य के साथ पीएम मोदी (PM Modi) ने स्वच्छ भारत मिशन (Swachh Bharat Mission) की शुरूआत की. तब लगा शायद नारों के शोर में यह अभियान दम तोड़ देगा, मगर ये जन-जन की आवाज बना. फिर भी इसे राजनीतिक चश्मे से ही देखा गया. अब करीब 10 साल इसके होने को हैं और जो रिपोर्ट्स हैं, वो अनुमानों से परे हैं.

लाखों बच्चों की बची जान

नेचर जर्नल में छपी एक रिसर्च में बताया गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत जो शौचालय बनाए गए हैं, उनके इस्तेमाल से हर साल लगभग 60,000-70,000 बच्चों की मौत को रोकने में मदद मिली है. साल 2011 से साल 2020 के बीच हर साल करीब 70,000 बच्चों की जान शौचालय बनने की वजह से बच पाई है. जिला स्तर पर शौचालय तक पहुंच से औसतन 10 प्रतिशत अंकों का सुधार होने से शिशुओं की मृत्यु दर में 0.9 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं पांच साल के कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में 1.1 प्रतिशत की कमी आई है. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने इस रिसर्च को अपने X अकाउंट पर शेयर किया है. पीएम मोदी ने लिखा है कि स्वच्छ भारत मिशन जैसे प्रयासों के प्रभाव को उजागर करने वाले शोध को देखकर खुशी हुई. शिशु और बाल मृत्यु दर को कम करने में उचित शौचालयों की पहुंच महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. स्वच्छता, सफाई सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए यह एक गेम-चेंजर बन गई है. मुझे खुशी है कि भारत ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है.  

अमेरिका ने देखा दम

इस रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान और अमेरिका के शोधकर्ताओं ने पूरा किया है. इसके लिए टीम ने 35 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों और 600 से अधिक जिलों में किए गए राष्ट्र स्तर के 20 सालों के सर्वे के आंकड़ों को खंगाला और पाया कि साल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन के शुरू होने के बाद पूरे भारत में तेजी से शौचालय बने हैं. मिशन के तहत साल 2019 तक 10 करोड़ से अधिक घरेलू शौचालय बनाए गए हैं. 6 लाख से अधिक गांवों को ODF यानी खुले में शौच से मुक्त गांव घोषित किया गया है. WHO के अनुसार 2014 की तुलना में 2019 में डायरिया से 300,000 कम मौतें हुईं हैं. खुले में शौच से मुक्त गांवों में रहने वाले परिवारों को स्वास्थ्य पर आने वाले खर्चे पर हर साल औसतन 50,000 रुपये की बचत हो रही है. स्वच्छता सुविधाओं के कारण 93% महिलाएं घर पर सुरक्षित महसूस करती हैं. मिशन के मौजूदा चरण को 1.40 लाख करोड़ रुपये के निवेश से समर्थन मिला है.

कभी थे बदनाम

भारत में स्वच्छ भारत अभियान की जरुरत इसलिए पड़ी, क्योंकि भारत में खुले में शौच करने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा थी. 2011 की जनगणना के मुताबिक, ग्रामीण भारत में सिर्फ 34 प्रतिशत घरों में शौचालय थे. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, भारत के शहरों और कस्बों में हर दिन कचरे का एक-तिहाई हिस्सा सड़कों पर ही सड़ जाता था. इन्हीं समस्याओं से निबटने के लिए सरकार ने देश में स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की. किसी भी देश में स्वच्छता होती है तो देश की छवि सुधरती है, पर्यटन को बढ़ावा मिलता है. इस अभियान के तहत सरकार ने लोगों को स्वच्छता के बारे में जागरूक और प्रोत्साहित किया और परिणाम आज सबके सामने हैं.





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