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Parsottam Rupala Is In Trouble For Giving Controversial Statement On Kshatriyas, Is BJP Preparing To Change The Candidate From Rajkot? – क्षत्रियों पर विवादित बयान देकर बुरे फंसे परसोत्तम रूपाला, क्या राजकोट से उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है BJP?


क्षत्रियों पर विवादित बयान देकर बुरे फंसे परसोत्तम रूपाला, क्या राजकोट से उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है BJP?

गुजरात की राजकोट संसदीय सीट इस वक्त चर्चा का केंद्र बनी हुई है और इस सीट को लेकर एक सस्पेंस है कि क्या बीजेपी यहां से अपना उम्मीदवार बदलेगी? बीजेपी ने यहां से केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रूपाला को उतारा है. लेकिन उनके एक बयान से विवाद हो गया है. बीते हफ्ते भर से क्षत्रिय समुदाय इस मांग के साथ प्रदर्शन कर रहा है कि बीजेपी राजकोट से अपना उम्मीदवार बदले.

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अंग्रेजी में एक शब्द है ‘पॉलिटिकली करेक्ट’, जिसका अर्थ होता है कि बोलचाल या व्यवहार में सभी वर्ग का ध्यान रखा जाए और किसी को अपमानित करने से बचा जाए. यह शब्द इस वक्त गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट के लिए प्रासंगिक हैं, क्योंकि यहां से बीजेपी के उम्मीदवार पुरुषोत्तम रुपाला ने कुछ ऐसी बात कह दी जिसे राजनीति की जबान में पॉलिटिकल इनकरेक्ट कहा जा सकता है.

परषोत्तम  रुपाला के बयान से विवाद

भगवान से लेकर इंसान तक सभी से केंद्रीय मंत्री परषोत्तम  रुपाला अपनी जीत के लिए गुहार लगा रहे हैं. रूपाला अब तक राज्यसभा के सदस्य हैं.य लेकिन इस बार बीजेपी ने उन्हें  राजकोट लोकसभा सीट का उम्मीदवार बनाया है. अपने नाम का ऐलान होने के साथ ही रुपाला ने चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया. लेकिन इसी दौरान वे कुछ ऐसा बोल गए जिससे बवाल मच गया और उनकी उम्मीदवारी पर अब तलवार लटकने लगी है.

“बीजेपी रूपाला की उम्मीदवारी वापस”

रूपाला के बयान से क्षत्रिय संगठन आहत हैं. उनके बयान के बाद से लगातार गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में लगभग रोजाना प्रदर्शन हो रहे हैं. विरोध प्रदर्शन के लिए ऐसी ही एक रैली शनिवार को राजकोट में आयोजित की गई. क्षत्रिय संगठनों की मांग है कि बीजेपी रूपाला की उम्मीदवारी वापस ले और कोई नया नाम दे.

रूपाला का बयान न केवल उन्हें बैकफायर कर गया, बल्कि पूरी बीजेपी के लिए राज्य में मुसीबत वाली स्थिति हो गई है. अपने बयान को लेकर न केवल रुपाला ने माफी मांगी, बल्कि राज्य बीजेपी के आला नेतृत्व में भी राजपूतों से माफी मांगी है. लेकिन इसके बावजूद मामला ठंडा होने के बजाय गरमाता ही जा रहा है.

क्षत्रियों के विरोध पर हमने रूपाला की प्रतिक्रिया जानी चाहिए. लेकिन उन्होंने बातचीत करने से इनकार कर दिया. हमें बताया गया कि विवाद के बाद से उनको मीडिया से बात न करने के लिए कहा गया है.


रूपाला का एक लंबा राजनीतिक कैरियर रहा है. कई सालों तक वे गुजरात में विधायक रहे, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उनकी कैबिनेट में वे मंत्री भी नियुक्त किया गए थे. 2016 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया गया. सियासी गलियारों में लोग अचरज है कि इतने अनुभवी राजनेता होने के बावजूद रुपाला ने इस तरह का बयान कैसे दे दिया. दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि इस विवाद से चुनाव नतीजों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

रूपाला के विवादित बयान के बाद कहानी में ट्विस्ट

वैसे राजकोट लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है. 2009 के अपवाद को अगर छोड़ दे जब यहां से कांग्रेस का उम्मीदवार सांसद चुना गया था तो 1989 से लेकर 2019 तक यहां बीजेपी का ही सांसद रहा है. इस लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा की सीटें आती हैं और सभी पर बीजेपी का कब्जा है. लेकिन रूपाला के विवादित बयान के बाद इस बार कहानी में ट्विस्ट आ गया है.

अब 20 अप्रैल को ही सस्पेंस पर से पर्दा हटेगा. 20 अप्रैल को पर्चा भरने की आखिरी तारीख है. उसे तारीख को ही यह साफ हो सकेगा कि क्षत्रिय विरोध के आगे घुटने देखते हुए बीजेपी रूपल की उम्मीदवारी वापस लेती है या फिर रूपल ही भाजपा के उम्मीदवार बने रहते हैं.



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