News

Parliament To Shift From Old To New Building, All You Need To Know About The Historic Shift – भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक दिन, पुराने से नए भवन में शिफ्ट होगी संसद, जानिए क्‍या होगा अंतर



संसद की नई इमारत पुराने संसद भवन के बिलकुल पास ही बनी है. इतने पास की हमारे आधुनिक इतिहास के दोनों दौर यहां पर आपस में बात से करते लगते हैं. भारत के लोकतंत्र की धड़कन रहा यह खूबसूरत और ऐतिहासिक संसद भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन आजाद भारत के लिए यहां सबसे पहला और सबसे बड़ा मौका तब आया जब 14-15 अगस्‍त 1947 की मध्‍य रात्रि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यहां से Tryst with Destiny यानी नियति से पूर्व निर्धारित मुलाकात नाम से चर्चित वो ऐतिहासिक भाषण दिया जो आज भी 20वीं सदी के सबसे चर्चित भाषणों में से एक माना जाता है. 

1958 तक इसी इमारत में था सुप्रीम कोर्ट 

इसी पुरानी संसद में संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को देश के नए संविधान को अंगिकार किया. यह संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ और इसी के साथ भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणतंत्र बन गया. यह जानना भी बेहद दिलचस्‍प है कि भारत के गणतंत्र बनने के दो दिन बाद 28 जनवरी 1950 को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का उद्घाटन भी इसी पुरानी संसद में हुआ. इस संसद में 1958 तक सुप्रीम कोर्ट भी चलती रही, जब तक कि तिलक मार्ग पर संसद की नई इमारत नहीं बन गई. इस लिहाज से यह संसद भवन और भी खास हो जाता है.  

बीते 75 सालों में देश की इस ऐतिहासिक संसद में 17 लोकसभाओं को देश का कानून बनाते हुए देखा, 15 राष्‍ट्रपतियों को देश की कमान संभालते देखा और 14 प्रधानमंत्रियों को देश का कामकाज चलाते हुए देखा. पीएम मोदी ने सोमवार को अपने भाषण में संसद में इतिहास रचने वाले पूर्व प्रधानमंत्रियों का भी जिक्र किया. 

1921 में रखी गई थी आधारशिला 

पुरानी संसद की आधारशिला 102 साल पहले 12 फरवरी 1921 में रखी गई थी. ब्रिटेन के ड्यूक ऑफ कनॉट ने इसकी आधारशिला रखते हुए कहा कि यह भारत के पुनर्जन्‍म और नई ऊंचाइयों पर पहुंचने का प्रतीक बनेगा. छह एकड़ में बनी 560 फीट व्‍यास की इस गोलाकार इमारत को ब्रिटिश आर्किटेक्‍ट सर हरबर्ट बेकन ने डिजाइन किया. सर हरबर्ट बेकन और सर एडविन लुटियंस को दिल्‍ली की रायसीना हिल इलाके में नई राजधानी का डिजाइन तैयार करने का जिम्‍मा मिला था. 

निर्माण में आया था 83 लाख रुपये का खर्च 

सेंट्रल विस्‍टा की आधारिक वेबसाइट के मुताबिक, इस संसद भवन के पत्‍थरों और मार्बल्‍स को शक्‍ल देने के लिए करीब ढाई हजार शिल्पियों को काम पर लगाया गया था. इस गोलाकार संसद के चारों ओर उजले रंग के बलुआ पत्‍थर यानी सेंड स्‍टोन के 144 विशाल खंबे हैं और सबकी लंबाई 27 फीट है. संसद में लगाए गए लाल बलुआ पत्‍थरों को आगरा से लाया गया और इसके लिए एक खास नैरा गेज रेल लाइन बिछाई गई. पुराने संसद भवन को बनाने में आज से 100 साल पहले 83 लाख रुपये का खर्चा आया था और इसे बनने में छह साल लगे. 

लॉर्ड इरविन ने किया था उद्घाटन 

18 जनवरी 1927 को तत्‍कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने इस इमारत का उद्घाटन किया. इस इमारत को पहले काउंसिल हाउस कहा गया, जहां इंपीरियल लेजिस्‍लेटिव काउंसिल यानी ब्रिटिश भारत की विधायिका बैठती थी. भारत में ब्रिटिश राज खत्‍म होने के बाद नया संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा इस संसद में बैठी और 1950 में  संविधान लागू होने पर यह भारतीय संसद कहलाई. 

अब पुरानी संसद का क्‍या होगा?

नई संसद बनने के बाद से ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि अब पुरानी संसद का क्‍या होगा. हालांकि अब बताया जा रहा है कि पुरानी संसद को एक संग्रहालय में तब्‍दील कर दिया जाएगा. यहां पर देश-विदेश से जो भी लोग आएंगे वो भारत की संसदीय परंपरा, धरोहर को यहां देख पाएंगे. नई संसद को इस तरह से बनाया गया है कि जो भारत की सांस्‍कृतिक विरासत और परंपरा को सहेज कर रखा जा सके. यहां पर एक एग्जिबिशन भी है. 

नई और पुरानी संसद में यह है अंतर 

– पुरानी संसद की लोकसभा में 543 सीटें हैं. वहीं  नई संसद की लोकसभा में 888 सीटें होंगी, जो 2026 में संसदीय सीटों के नए परिसीमन को देखते हुए बनाई गई है. परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें बढ जाएंगी, जो अभी 543 हैं.  

– पुरानी संसद में संसद के संयुक्‍त सत्र को सेंट्रल हॉल में आयोजित किया जाता था. लेकिन नई संसद में संयुक्‍त सत्र लोकसभा में ही आयोजित किया जाएगा. यहां पर संयुक्‍त सत्र के लिए सीटों की संख्‍या बढ़ाकर 1272 की जा सकती है. 

– नई संसद में एक सेंट्रल लाउंज होगा. यह एक खुला अहाता होगा, जो सांसदों के आपस में घुलने-मिलने की जगह होगा. इस अहाते में देश का राष्‍ट्रीय वृक्ष बरगद लगा हुआ है. 

– पुरानी संसद में जो सेंट्रल हॉल था, वह नई संसद में नहीं होगा. यह सेंट्रल हॉल सांसदों और संसद को कवर करने वाले पत्रकारों के मिलने की एक खास जगह था. 

– नई संसद में एक कांस्‍टीट्यूशनल हॉल होगा, जो पुरानी संसद में नहीं होगा. 

ये भी पढ़ें :

* नए संसद भवन में कैसा रहेगा पहला दिन, जानें 19 सितंबर के कामकाज का पूरा शेड्यूल

* “यहां मार्गदर्शक बने और सहयोगी भी…”: लोकसभा की पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने ताजा कीं पुरानी संसद की यादें

* पुराने संसद भवन की विदाई, जानें पीएम मोदी समेत बाकी नेताओं ने क्या कहा?



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *