Parliament Monsoon Session Delhi Services Bill Passed In Rajya Sabha Aap Arvind Kejriwal – दिल्ली सर्विस बिल राज्यसभा में भी हुआ पास, समर्थन में 131 और विरोध में पड़े 102 वोट
दिल्ली सर्विस बिल पर जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और पब्लिक ऑर्डर पर काम करने का अधिकार केंद्र को दिया है. सेवा का अधिकार राज्य को देने की बात कही है. इसमें यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है.” उन्होंने कहा, “संविधान कहता है कि केंद्र को किसी भी विषय पर कानून बनाने का अधिकार है. इस किसी भी में सेवाएं भी आती हैं. संसद को संविधान में संशोधन का अधिकार है.” गृह मंत्री अमित शाह के बयान के दौरान एनडीए सांसदों ने ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगाए. जवाब में विपक्षी गठबंधन के नेता ‘INDIA-INDIA’ कहने लगे.
राज्यसभा में दिल्ली सर्विस बिल पर बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह सबूत देंगे कि यह बिल किसी भी एंगल से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं करता है. यह बिल दिल्ली पर मौजूदा केंद्र सरकार के अध्यादेश को बदलने का प्रयास है.
केजरीवाल ने जताई नाराजगी
राज्यसभा से दिल्ली सर्विस बिल पास होने के तुंरत बाद दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. केजरीवाल ने इस बिल के पास होने पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि बीजेपी पीछे के दरवाजे से ये बिल लेकर आई. उन्होंने पीएम के दिल्ली की सरकार में दखल देने पर भी आपत्ति जाहिर की.
बीजेपी को कोई सीट नहीं देगी दिल्ली की जनता
केजरीवाल ने कहा, “मैं जो भी करता हूं, दिल्ली की जनता उसका समर्थन करती है. उन्होंने मुझे चुनाव में जीत दिलाकर अपना समर्थन दिखाया है. बीजेपी सिर्फ हमारे अच्छे काम को रोकने की कोशिश कर रही है. वे विकास कार्यों में बाधा डाल रहे हैं. वे मुझे काम करने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. इस बार जनता उन्हें कोई सीट नहीं जीतने देगी.”
क्या है मामला?
दरअसल, 11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संविधान पीठ ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था. साथ ही अदालत ने कहा था कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे. इस फैसले के एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को बदल दिया. सरकार ने ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया. दिल्ली सर्विस बिल कानून बनने के बाद इसी अध्यादेश की जगह लेगा.
दिल्ली सर्विस बिल में किए गए कई बदलाव
गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल 2023 (GNCT) में सरकार ने कुछ बदलाव किए हैं. जैसे सेक्शन- 3ए जो अध्यादेश का हिस्सा था, उसे विधेयक से हटा दिया गया है. अध्यादेश के सेक्शन-3-ए में कहा गया था कि किसी भी अदालत के किसी भी फैसले, आदेश या डिक्री में कुछ भी शामिल होने के बावजूद विधानसभा को सूची-2 की प्रविष्टि 41 में शामिल किसी भी मामले को छोड़कर आर्टिकल 239 के अनुसार कानून बनाने की शक्ति होगी.
पिछले अध्यादेश के तहत NCCSA को संसद और दिल्ली विधानसभा में सालाना रिपोर्ट प्रस्तुत करना जरूरी था. हालांकि विधेयक इस अनिवार्यता को हटा देता है, जिससे रिपोर्ट को संसद और दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखे जाने की जरूरत ही नहीं रहेगी.
प्रस्तावित बिल में सेक्शन 45-डी दिल्ली में अलग-अलग अथॉरिटी, बोर्डों, आयोगों और वैधानिक निकायों के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित है. इस बिल में इस प्रावधान को हटा दिया गया है. बिल में नए जोड़े गए प्रावधान के तहत अब NCCSA समिति की सिफारिशों के अनुसार दिल्ली सरकार के बोर्डों और आयोगों में नियुक्तियां और तबादले करेंगे. इस समिति में मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव सदस्य होंगे और उसकी अध्यक्षता दिल्ली के मुख्यमंत्री करेंगे.
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