Param Vir Chakra Army Man Captain Yogendra Singh Tell The Tale Of Kargil War 15
पाकिस्तान के मंसूबों को ध्वस्त कर कारगिल की ऊंची चोटी पर तिरंगा फहराने का गौरव हासिल है भारतीय सेना को, जिसके पराक्रम के आगे पहाड़ों की बुलंदियों पर बैठा दुश्मन देश भी उल्टे पैर भागने पर मजबूर हो गया. लेकिन ये फतह देश की सेना को यूं ही हासिल नहीं हुई. सैकड़ों जवानों ने जान देकर ये जीत दिलाई और जो जी गए वो भी ऐसे जिए कि उनकी शौर्य की कहानी आज भी रोंगटे खड़े कर देती है. देश के ऐसे ही एक वीर सिपाही हैं कैप्टन योगेंद्र सिंह, जिनकी कहानी सुनकर आप भी उन्हें सलाम करने पर मजबूर हो जाएंगे.
यह भी पढ़ें
दुश्मन ने दागी 15 गोलियां
एडवोकेट आदित्य आनंद ने केबीसी की एक क्लिप अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर की है, जिसमें कैप्टन योगेंद्र सिंह नजर आ रहे हैं. जिनके साहस के लिए उन्हें सर्वोच्च आर्मी सम्मान परम वीर चक्र दिया जा चुका है. कैप्टन उन आर्मी मैन में से एक हैं जिन्हें दुश्मन ने पूरी 15 गोलियां दाग दी थीं. ये 1999 में हुए कारगिल युद्ध की बात है. जब वो दुश्मन से मुकाबला कर रहे थे. उस वक्त पाकिस्तान की आर्मी उनके बहुत नजदीक पहुंच चुकी थी और एक-एक सैनिक को बार-बार गोलियां मार रही थी. कैप्टन ने बताया कि पाकिस्तानी सैनिक उनकी तरफ आते और वो जिंदा है या नहीं ये जानने के लिए उन पर गोलियां बरसा देते. उन पर भी दुश्मन ने 15 गोलियां बरसाईं. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.
Watch: The Inspirational, unheard & Heart Touching story of a Soldier ….????????????
Captain Yogendra Singh ji: A retired Indian Army officer who was awarded the “Param Vir Chakra”, the “highest Indian military decoration” , for his actions against Pakistani infiltrators/soldiers on… pic.twitter.com/mfX5E5c5u9
— Adv Aditya Anand (@_SanataniAditya) December 6, 2023
जख्मी हालत में चलाया हैंड ग्रेनेड
कैप्टन योगेंद्र सिंह ने हिम्मत नहीं हारी जख्मी हालत में ही दुश्मन की तरफ हैंड ग्रेनेड फेंका और उन्हीं की बंदूक से गोलियां बरसाई. इसके बाद वो लढ़कते हुए अपने कैंप तक पहुंचे. जहां उनसे पूछा गया कि सेना के जवानों को किस चीज की जरूरत थी. तब उन्होंने खाने की जगह बंदूक की गोलियों का नाम लिया जिनकी मदद से दुश्मन को खत्म किया जा सके. इस दिलेरी के बाद उनका लंबा इलाज चला. उनके शरीर से एक एक गोली निकाली गई. इस युद्ध के बाद उन्हें ठीक होने में सालों गुजर गए. लेकिन खुशी इस बात है कि वह दुश्मन के हाथ नहीं लगा.