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P Chidambaram on new criminal laws World over death penalty india incleded in Indian Judicial Code


P Chidambaram On New Criminal Law: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शनिवार (6 जुलाई) को दावा किया कि केंद्र ने एक जुलाई से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून बनाने में विधि आयोग की अनदेखी की. उन्होंने कहा कि सेवानिवृत्त जजों, विधि विशेषज्ञों, प्रोफेसर और स्थायी कानूनी कर्मियों वाला विधि आयोग आम तौर पर बार काउंसिल के सदस्यों और अधिवक्ता संघों के साथ परामर्श तथा संसद में पेश करने के लिए एक मसौदा तैयार करता है.

विधि आयोग को नजर अंदाज करने का आरोप

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि विधि आयोग को नजर अंदाज कर दिया गया और एक समिति के लिए पांच या छह अंशकालिक नियुक्त किए गए. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू हो गए, जिन्होंने क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह ली है.

‘क्रूर सजा को किया गया शामिल’

पी चिदंबरम ने नए कानूनों के खिलाफ डीएमके की अधिवक्ता इकाई की ओर से आयोजित एक प्रदर्शन में कहा, ‘‘कानूनों को विधि आयोग के पास नहीं भेजा गया और न ही उससे परामर्श किया गया. यह गलत है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पूरी दुनिया में मौत की सजा को खत्म कर दिया गया है, लेकिन यहां एकांत कारावास को सजा के रूप में शामिल किया गया है, जो संविधान के अनुसार एक असामान्य और क्रूर सजा है.”

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसी सजा दुनिया में कहीं भी प्रचलित नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह आजीवन कारावास और शेष जीवन तक आजीवन कारावास की सजा को भी शामिल किया गया है. क्या अंतर है?’’ पी चिदंबरम ने कहा कि वह कई महीनों से नए कानूनों पर बहस पर जोर दे रहे थे, लेकिन सरकार ने इनकार कर दिया, क्योंकि वह इसके लिए तैयार नहीं थी.

‘नया कानून कट, कॉपी, पेस्ट’

उन्होंने कहा, ‘‘नए कानूनों में 90-99 फीसदी कट, कॉपी और पेस्ट का काम है. सरकार इसके बजाय कुछ संशोधन ला सकती थी. मैंने यह नहीं कहा कि कोई सुधार नहीं होना चाहिए…उन्हें एक संशोधन लाना चाहिए था. उन्होंने केवल धाराओं की संख्याएं बदल दीं. वकीलों, जजों पुलिस को अब फिर से पढ़ना चाहिए.”

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