News

Orissa Puri Jagannath Temple Ratna Bhandar Opened After 46 Years Know When Will Announce Digit of Ornaments


Jagannath Temple Ratna Bhandar: भगवान जगन्नाथ के धाम में उस रहस्य से पर्दा उठ गया जो एक या दो दशक से नहीं बल्कि 46 साल से हर किसी के लिए अबूझ पहेली बना हुआ है. यूं तो पुरी के जगन्नाथ धाम में सुबह से ही हलचल बढ़ गई थी लेकिन रत्न भंडार का ताला खोलने की असल तैयारी दोपहर बाद शुरू हुई. करीब 1 बजे मंदिर की सीढ़ियों से होकर टीम ने रत्न भंडार की ओर बढ़ना शुरू किया.

मंदिर परिसर में बाहर की ओर तैनात सुरक्षा घेरे के बीच रत्न भंडार का ताला खोलने के लिए नियुक्त किए तमाम कर्मचारी और अधिकारी धीरे-धीरे अंदर दाखिल हुए और फिर खबर आई कि रत्न भंडार के ताले को खोल दिया गया है. ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया के जरिए रत्न भंडार खुलने की जानकारी दी.

वहीं, अधिकारियों ने बताया कि रत्न भंडार को खोलते समय 11 लोग मौजूद थे, जिसमें ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व जज विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे. इनमें चार सेवक भी थे जिन्होंने अनुष्ठानों का ध्यान रखा. वे शाम करीब 5.20 बजे रत्न भंडार से बाहर आये, जिसमें एक आंतरिक और एक बाहरी कक्ष है.  

2018 में ओडिशा हाईकोर्ट ने दिया था ताला खोलने का आदेश

ये सवाल सिर्फ किसी एक व्यक्ति का नहीं है. लंबे वक्त से मांग उठ रही थी कि भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार का ताला खुलना चाहिए. स्वर्णलोक से रहस्य से पर्दा उठना चाहिए. केस कोर्ट तक गया और आदेश भी आया लेकिन ताला नहीं खुला. आदेश के बाद जब ताला खोलने की बारी आई तो पता चला खजाने की चाबी खो चुकी है.

चाबी की खोज शुरू हुई लेकिन 6 साल बीतने के बाद भी चाबी नहीं मिली. अब चाबी वाकई गुम हो गई या फिर जानबूझकर छिपा दी गई ये रहस्य अब तक बना हुआ है. यही वजह है कि 46 साल बाद रत्न भंडार का ताला खोला गया तो जो चाबी ले जाई गई वो काम नही आई. नतीजा रत्न भंडार पर लगे ताले को तोड़ना पड़ा.

जगन्नाथ मंदिर के दरवाजों के पीछे खजाने का अदृश्य संसार

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में दो हिस्से हैं. बाहरी और भीतरी. रत्न भंडार का भीतरी हिस्सा लंबे वक्त से बंद था. बताया जाता है कि इस हिस्से में 7 दरवाजे हैं और इन्हीं दरवाजों के पीछे है करोड़ो-अरबों का अदृश्य संसार.

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ. कलिंग वास्तुकला के आधार बने इस मंदिर में उस वक्त एक रत्न भंडार भी बनाया गया. इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए जो कई राजाओं और भक्तों की ओर से भेंट किए गए. 

रत्न भंडार के आभूषणों का आकलन करने के लिए बनाई गई कमेटी

माना जाता है कि वक्त के साथ ये खजाना बढ़ता गया लेकिन मौजूदा वक्त में खजाने का आकार कितना बड़ा है खजाने में जमा दौलत कितनी बढ़ चुकी है किस्से और कहानियों से परे रत्न भंडार में कितना सोना, आभूषण और कीमती बर्तन जमा हैं? इन तमाम सवालों के जवाब के लिए कोर्ट के निर्देश पर बनाई गई कमेटी की देखरेख में आकलन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हालांकि खजाने के रहस्य से पर्दा कब तक उठेगा इस पर सस्पेंस अभी बाकी है.

आखिरी बार 1985 में खुला था ताला, कितना माल मिला?

रत्न भंडार का ताला आखिरी बार 1978 में खुला था. तब राजाओं के मुकुट से लेकर खजानों से भरी तिजोरियां देखने को मिली थीं. अब कल्पना कीजिए जो मंदिर ही करीब 600 करोड़ का है उसके खजाने में क्या-क्या होगा. ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के नाम पर करीब 60 हजार एकड़ से ज्यादा की जमीन है. आखिरी बार जब लिस्ट बनाई गई थी तब संपत्ति का क्या ब्योरा पेश किया गया था जिसमें 128 किलो सोना, 221 किलो चांदी, 12,831 सोने के भारी आभूषण और इसके अलावा 22 हजार 153 चांदी के बर्तन और दूसरा सामान भी बताया गया.

हालांकि वो दूसरा सामान क्या था. उसकी कीमत कितनी थी. उसका कोई ऑफिशियल रिकॉर्ड नहीं है. माना जा रहा है कि जब एक बार रत्न भंडार के ताले खुल चुके हैं तो इस बार पूरा रिकॉर्ड सामने आएगा.

मंदिर के अंदर है दौलत का संसार

साल 2018 में विधानसभा में पूर्व कानून मंत्री प्रताप जेना ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि आखिरी बार यानी 1978 में रत्न भंडार को खोलने के समय करीब साढ़े 12 हजार भरी सोने के गहने थे. जबकि 22 हजार भरी से कुछ ज्यादा चांदी के बर्तन थे.

एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर होती है. यानि मंदिर का रत्न भंडार दौलत का वो संसार है जिसका आकलन एक या दो दिन में मुमकिन नहीं. इधर एक अपडेट ये है कि अगले एक या दो दिन तक रत्न भंडार के अदृश्य संसार से पर्दा उठने की उम्मीद कम है. बताया जा रहा है कि रत्न भंडार को खोलने से लेकर संपत्ति के आकलन के लिए गठित कमेटी अगले दो-तीन दिन तक किसी और कार्य में व्यस्त रहेगी. इसके बाद ही रत्न भंडार के आकलन की प्रक्रिया पर फैसला लिया जाएगा.

इधर एक खबर ये भी है कि सोमवार को जगन्नाथ मंदिर में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. यानि अभी रत्न भंडार के संपूर्ण रहस्य से पर्दा उठने में और समय लगने वाला है. फिलहाल रत्न भंडार का ताला तोड़ने के बाद नए ताले की चाबी ट्रेजरी में जमा कर दी गई है.

ये भी पढ़ें: Donald Trump: भगवान जगन्नाथ ने बचाई डोनाल्ड ट्रंप की जान? कोलकाता इस्कॉन के उपाध्यक्ष का दावा



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *