Opinion: बीएसपी को नई पीढ़ी के हिसाब से नेतृत्व देने की जरूरत, लेकिन मायावती में इसका अभाव
<p style="text-align: justify;">हाल में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने फैसले से सभी को हैरान करते हुए भतीजे आकाश आनंद को सभी पदो से हटा दिया. उन्होंने जिसे अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, एक बार फिर से आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से मुक्त कर दिया है. राजनीति में ये एक ऐसी घटना है जो कई बार हास्यास्पद जैसी भी लगती है और कई बार चिंतित करने वाली भी लगती है. </p>
<p style="text-align: justify;">कई बार ऐसा लगता है कि बहुजन समाज पार्टी का नेतृत्व विक्षित हुआ है तो क्या वो किसी फैसले में कायम भी रह सकता है क्या. मतलब एक अजीब सी स्थिति देखने को मिल रही है. मायावती ने सबसे पहले जब अपने परिवार के सदस्य को अपना उत्तराधिकारी किया तो सभी ने उस पर आपत्ति जताई थी. आपत्ति इस मायने में की गई थी कि जिस विचारधारा और आंदोलन की बहुजन समाज पार्टी है, उसमें परिवार के उत्तराधिकारी बनने का कॉन्सेप्ट नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;">उत्तराधिकारी बनने के कांसेप्ट को एक ब्राह्मण वादी कॉन्सेप्ट के रूप में देखा जाता है कि उसका पुत्र है तो वह अगला वारिस होगा. वह अगला उत्तराधिकारी होगा. <br />जबकि राजनीतिक पार्टियों में ये माना जाता है कि राजनीतिक पार्टियां कोई परिवार की संपत्ति नहीं होती है. लेकिन, राजनीतिक मामलों में ऐसा नहीं होता है. राजनीतिक पार्टियां लोगों के बीच काम करती है. राजनीतिक पार्टियां लोगों की और समाज के सदस्य की पार्टी होती है, जो एक नेतृत्व के बाद दूसरा नेतृत्व विकसित करती है. इसी विचारधारा की लड़ाई लंबे समय तक बीएसपी लड़ती रही है. </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मायावती के फैसले पर सवाल</strong></p>
<p style="text-align: justify;">लेकिन भारतीय राजनीति में कई तरह की चीजें बहुत ही गड़बड़ है. अगर आप कोई स्पष्ट रेखा देखना चाहते हैं तो वह नहीं मिलेगी. ब्राह्मणवाद का बीएसपी में विरोध है, लेकिन कई सारे ब्राह्मणवादी सारे तौर तरीकों के प्रति न केवल स्वीकार्यता है बल्कि गहन आकर्षण भी है.</p>
<p style="text-align: justify;">यानी एक दुविधा की स्थिति भारतीय समाज में उस आंदोलन के बीच भी देखी जाती है, जिसके विरोध में आप आंदोलन कर रहे होते हो. ठीक उसी तरह से बहुजन समाज पार्टी की स्थिति भी इसी रुप में दिखी.</p>
<p style="text-align: justify;">आकाश आनंद को मायावती ने उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और एक बहुत बड़े हिस्से ने इस फैसले को स्वीकार भी कर लिया कि शायद भारतीय समाज और भारतीय राजनीति का जो सच है वो आज वह इसी के इर्दगिर्द है. क्योंकि राजनीतिक पार्टियों ने अपने उत्तराधिकारी, अपने वंशजों को ही बनाया है. </p>
<p style="text-align: justify;">ऐसी स्थिति में आकाश आनंद को नेतृत्व दिया जाएगा, इस उम्मीद में उन्हें जिम्मेवारी भी दी गई. मायावती ने उन्हें जिम्मेदारी भी दी और उसके बाद उनसे उम्मीद भी की गई. लेकिन, इस उम्मीद के बाद जब थोड़े दिनों घटना हुई तो मायावती ने अचानक से आकाश आनंद को मुक्त कर दिया.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पार्टी में भ्रम की स्थिति</strong></p>
<p style="text-align: justify;">यानी उत्तराधिकारी का पद मायावती ने एक तरह से बहाल किया था और उससे उन्होंने आकाश आनंद को मुक्त कर दिया. लेकिन, हरियाणा चुनाव के समय एक बार फिर नए सिरे से आकाश आनंद को फिर कुछ राज्यों की जिम्मेवारी दी गई.</p>
<p style="text-align: justify;">उसके बाद ऐसा लगा कि बीएसपी की स्थितियां कुछ ठीक हो जाएंगी. चूंकि बीएसपी को मायावती के साथ ही कुछ ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो बहुजन समाज की नई पीढ़ी को संबोधित कर सके. उस नई पीढ़ी का प्रतिबिंब लगे. लेकिन मायावती में ये अभाव दिखता है.</p>
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