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Old Delhi Mughal era Ghantewala sweet shop reopens historic sweet shop 270 years old


Delhi News: पुरानी दिल्ली के चांदनी चौक में मुगलकालीन दुकान ‘घंटेवाला’ एक बार फिर खुल गई हैं जहां फिर से घी से बना ‘सोहन हलवा’ और ‘कराची हलवा’ के साथ रागी के लड्डू का स्वाद चखने को मिलेगा. लाला सुखलाल जैन द्वारा 1790 में स्थापित ‘घंटेवाला’ दुकान को घटती बिक्री के कारण 2015 में बंद कर दिया गया था. यह दुकान पुरानी दिल्ली के लोकप्रिय स्थलों में से एक थी.

हालांकि, 2024 में उत्पादों की ऑनलाइन बढ़ती मांग को देखते हुए यह मुगलकालीन दुकान अपने पुराने पते पर फिर से खोल दी गई है और इस बार दुकान का नया स्वरूप दिया गया है, लेकिन मिठाइयों की सुंगध वही पुरानी है.‘घंटेवाला’ के मालिक सुशांत जैन ने ‘पीटीआई-भाषा ’को बताया, ‘‘जब हमें 2015 में दुकान बंद करनी पड़ी तो मेरा पूरा परिवार बेहद दुखी था. कई ग्राहक हमारे पास आकर शिकायत करते थे कि ‘‘अब हम ऐसी मिठाइयां कहां खाएंगे, खासकर हमारा पसंदीदा सोहन हलवा?’’

हद ही उत्साहजनक थी ग्राहकों की प्रतिक्रिया 
जैन ने कहा, ‘‘आखिरकार, दो-तीन साल पहले हमने अपनी परंपरागत मिठाइयों को ऑनलाइन बेचना शुरू किया और पूरे भारत में ग्राहकों से हमें जो प्रतिक्रिया मिली, वह बेहद ही उत्साहजनक थी. तभी हमने फैसला किया कि हमें फिर से अपनी दुकान को वहीं खोलना चाहिए.’

क्या कहती है ‘घंटेवाला की कहानी
पहली कहानी गंटेवाला के संस्थापक लाला सुखलाल जैना के बारे में है कि वह अमेरिका से दिल्ली आये और यहां ठेले पर चीनी और मावा बेचने लगे. लोगों को आकर्षित करने के लिए वह घंटी बजाता था और घर-घर जाकर मिठाइयां बेचता था. समय के साथ, वह लोकप्रिय हो गए और लोग उन्हें “गंटेवाला” के नाम से जानने लगे. बाद के वर्षों में उन्होंने एक व्यवसाय शुरू किया और इसका नाम गंटेवाला रखा.

गन्तेवाला नाम से जुड़ी दूसरी कहानी यह है कि मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय के दरबार को लेकर ऐसा कहा जाता है कि शाह आलम ने एक बार अपने दरबारी सेवकों से “घंटे के नीचे वाली दुकान” (घंटी के नीचे की दुकान) से मिठाइयां खरीदने के लिए कहा. समय के साथ, घंटी के नीचे की दुकान का नाम छोटा करके गंटेवाला कर दिया गया. उस समय, पुरानी दिल्ली क्षेत्र की आबादी बहुत कम थी और लाल किले में रहने वाले मुगल शासकों को दुकान के बगल में बने स्कूल में घंटी की आवाज़ भी सुनाई देती थी.

स्टोर के नाम की आखिरी कहानी भी मुगल काल की है. ऐसा कहा जाता है कि हाथी ने अपने गले में एक घंटी पहन रखी थी और जब वह सड़क पार करता था तो घंटी की आवाज सुनाई देती थी. हाथी कैंडी स्टोर के सामने रुका और अपनी गर्दन हिलाई, जिससे घंटी जोर से बजने लगी. इसके कारण, स्टोर को “गंटेवाला” के नाम से जाना जाने लगा.

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