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NO discriminations in education says Supreme Court on Rohingya children case ann


रोहिंग्या बच्चों के सरकारी स्कूलों में प्रवेश की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने सही कहा है. कोर्ट ने कहा है कि शिक्षा में भेदभाव नहीं हो सकता. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या परिवारों का ब्योरा मांगा है.

रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव नाम की संस्था ने दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या लोगों को मुफ्त शिक्षा, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज, सस्ती दर पर राशन जैसी सुविधाएं देने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है. इस याचिका में खास तौर पर दिसंबर 2024 में जारी दिल्ली सरकार के उस सर्क्युलर का विरोध किया गया है, जिसमें स्कूलों को अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या के बच्चों को दाखिला देने से मना किया गया है.

याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि आधार कार्ड या भारतीय  नागरिकता का कोई दस्तावेज न होने के आधार पर स्कूलों में प्रवेश नहीं रोका जाना चाहिए. जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि शिक्षा में कोई भेदभाव नहीं हो सकता. इस पर वकील ने सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की भी मांग उठाई. जजों ने कहा कि पहले वह दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या परिवारों का विवरण कोर्ट को दें.

एनजीओ के वकील ने कोर्ट को उन बच्चों की लिस्ट सौंपी थी, जिन्हें स्कूलों में दाखिला चाहिए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि वह बच्चों की बजाय उनके माता-पिता का ब्यौरा कोर्ट को दें. वह किस पते पर रह रहे हैं, इसकी भी जानकारी दें. वकील ने कहा कि यह सभी लोग संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी कमिश्नर से शरणार्थी का कार्ड पाए लोग हैं. वह उनका ब्योरा कोर्ट को देंगे.

 

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