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Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने बच्चों के अधिकारों की उपेक्षा पर दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने साफ कहा दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (DCPCR) पिछले जुलाई से ठप पड़ा है, और सरकार मूक दर्शक बनी बैठी है.

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने दिल्ली सरकार को अंतिम चेतावनी देते हुए आदेश दिया है कि DCPCR में खाली पदों को छह हफ्तों के भीतर और जिला बाल संरक्षण इकाइयों (DCPU) की चयन प्रक्रिया को आठ हफ्तों में हर हाल में पूरा किया जाए.

दिल्ली HC ने मामले में लगाई फटकार 
दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ”आयोग कोई साधारण संस्था नहीं, बच्चों के अधिकारों की ढाल है. इसे निष्क्रिय छोड़ना सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करता है, जो कतई बर्दाश्त नहीं की जा सकती.”

कोर्ट ने सरकार को यह भी याद दिलाया कि वह पहले ही अक्टूबर 2024 के आदेश का उल्लंघन कर चुकी है. कोर्ट ने तीखा सवाल पूछते हुए कहा क्या किसी अधिकारी ने कभी रेलवे स्टेशन या बस अड्डे पर जाकर उन मासूम बच्चों की हालत देखी है जो नशे और शोषण का शिकार हैं.

दिल्ली सरकार के वकील ने दी दलील
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में सफाई दी कि भर्तियों के लिए दिसंबर में विज्ञापन निकाला गया था और जनवरी 2025 में स्क्रीनिंग कमेटी भी बनी है. DCPU के इंटरव्यू अप्रैल के अंत तक होंगे और योग्य उम्मीदवारों की सूची जल्द दी जाएगी. लेकिन अदालत संतुष्ट नहीं हुई. उसने स्पष्ट आदेश दिया कि छह हफ्तों के भीतर एक हलफनामा दाखिल कर यह बताया जाए कि कोर्ट के आदेशों का पूरी तरह पालन हुआ या नही

दिल्ली सरकार ने कोर्ट में दी जानकारी 
दिल्ली हाई कोर्ट इस बीच सरकार ने यह भी बताया कि बाल कल्याण समितियों (CWC) और किशोर न्याय बोर्ड (JJB) में नियुक्तियां पूरी कर ली गई हैं  12 JJB सदस्य, 8 CWC अध्यक्ष और 27 अन्य सदस्यों की अधिसूचना जारी हो चुकी है. लेकिन कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी नियुक्त सदस्यों को वेतन समय पर मिल रहा है या नहीं, इसका ब्योरा भी हलफनामे में दिया जाए.

दिल्ली HC में NGO ने दाखिल की है अर्जी
यह मामला एनजीओ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की याचिका के बाद सामने आया, जिसमें बच्चों से जुड़ी संस्थाओं की खस्ताहाली और खाली पदों को लेकर गंभीर चिंता जताई गई थी. अब इस जनहित याचिका पर अगली सुनवाई जुलाई में होगी.



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