Nishikant Dubey Says Politics Not Good On Everything Congress Remember Two People Jumped Into Parliament In 1991
Nishikant Dubey on Parliament Security Breach Incident: संसद की दर्शक दीर्घा से 13 दिसंबर को सदन में दो व्यक्तियों के कूदने से सुरक्षा में हुई बड़ी चूक के मामले पर सियासी पारा गरमाया हुआ है. सत्ता पक्ष जहां इस मामले को लेकर डैमेज कंट्रोल करने में जुटा है. वहीं, विपक्षी पार्टियां केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर नाकामियों का ठीकरा फोड़ राजनीतिक हमले कर रही हैं.
ऐसे में झारखंड की गोड्डा सीट से बीजेपी सांसद निशिकांत दूबे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साल 1991 के इसी तरह के दो मामलों का जिक्र कर कांग्रेस पर निशाना साधा है.
बीजेपी सांसद दूबे ने लिखा, ”10 जनवरी 1991 बद्री प्रसाद तथा 11 जनवरी 1991 पुष्पेंद्र चौहान दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गया. अध्यक्ष के आसन तक पहुंच गया. लोकसभा अध्यक्ष से कोई सवाल नहीं किया गया. कोई इस्तीफा नहीं? संसद की सुरक्षा लोकसभा सचिवालय का ही अधिकार है. कांग्रेस पार्टी देश को गुमराह करना चाहती है. याददाश्त पर ज़ोर डालिए, सभी बात पर राजनीति अच्छी नहीं होती.
किशनगंज लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद आजाद सदन में इस मामले पर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर के दिन हुए संसद भवन में गैस से हमले के वह भी चश्मदीद गवाह हैं.
‘लोकसभा अध्यक्ष ने भी किया है ‘हाई पावर कमेटी’ का गठन’
इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से एक पत्र सभी सांसदों को लिखा गया है. इसमें सूचित किया है कि संसद परिसर में सुरक्षा के सभी पहलुओं की समीक्षा करने और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस कार्य योजना बनाने के संबंध में ‘हाई पावर कमेटी’ का गठन किया है. यह कमेटी सीआरपीएफ महानिदेशक की अध्यक्षता वाले पैनल के अतिरिक्त है जो घटना की जांच कर रहा है. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह इसकी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद सदन के साथ इसको साझा करेंगे.
‘संसद के अधिकार क्षेत्र में आती है संसद भवन संपदा की सुरक्षा’
विपक्षी दलों की ओर से गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग और कई दलों की तरफ से उनके इस्तीफे पर बल देने के बीच बिरला का कहना है कि संसद भवन संपदा की सुरक्षा संसद के अधिकार क्षेत्र में आती है.
संसद में पहले भी आए इस तरह के कई मामले
समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन की कई घटनाएं अतीत में भी हुई हैं. इनमें 1991 से 1994 के बीच विजिटर्स के लोकसभा कक्ष में कूदने के 3 मामले शामिल हैं. दर्शक दीर्घा से नारे लगाने और पर्चे फेंकने के एक दर्जन मामले सामने आए. साल 1983 में एक विजिटर ने नारे लगाए थे और राज्यसभा सदस्यों के कक्ष में चप्पल फेंकी थी. संसद के ऊपरी सदन में विजिटर्स की ओर से नारे लगाने और पर्चे फेंकने के कम से कम 6 मामले आए.
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