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NIA said in court that Malegaon blast took place to spread communalism Pragya singh Thakur Swami Aseemanand


NIA On Malegaon Blast: मालेगांव ब्लास्ट मामले में गुरुवार (25 जुलाई) को मुंबई की एक विशेष अदालत में अंतिम दलीलें सुनी गईं. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने कहा कि मालेगांव विस्फोट सांप्रदायिक दरार पैदा करने के लिए किया गया था और साजिशकर्ताओं की कोशिश राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालना था.

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का पक्ष रख रहे विशेष लोक अभियोजक अविनाश रसाल और अनुश्री रसाल ने कहा, ‘यह रमजान का पवित्र महीना था और नवरात्रि उत्सव शुरू होने वाला था. साजिशकर्ताओं ने लोगों को आतंकित करने और जान-माल का नुकसान करने के इरादे से ये विस्फोट किए थे.’

‘सांप्रदायिक दरार पैदा करना भी था लक्ष्य’

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के मुताबिक, ‘यह घटना समुदाय के लिए आवश्यक आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने, सांप्रदायिक दरार पैदा करने और राज्य की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने के इरादे से की गई थी.’ बता दें कि इस मामले की जांच शुरू में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने की थी. इसके बाद इसे केंद्रीय एजेंसी एनआईए को सौंप दिया गया था.

कितने लोगों की गई जान? 

मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को अंजुमन चौक और भीकू चौक के बीच स्थित शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी के सामने रात नौ बजकर 35 मिनट पर हुए बम विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई थी तथा 101 लोग घायल हुए थे. अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह विस्फोट एक मोटरसाइकिल (जो कथित तौर पर भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर की थी) में लगे एक संवर्धित विस्फोटक उपकरण द्वारा किया गया था.

प्रज्ञा ठाकुर भी कर रहीं मुकदमे का सामना

इस मामले में भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं. इस मामले में घटना के लगभग 16 साल बाद बृहस्पतिवार को अंतिम दलीलें शुरू हुईं. अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह विस्फोट एक मोटरसाइकिल (जो कथित तौर पर भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा ठाकुर की थी) में लगे एक संवर्धित विस्फोटक उपकरण द्वारा किया गया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों में से एक समीर कुलकर्णी के खिलाफ मुकदमे पर रोक लगा दी है. मामले में ठाकुर और पुरोहित के अलावा अन्य आरोपी मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी और सुधाकर चतुर्वेदी हैं. सभी पर गैरकानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मुकदमा चल रहा है.

अंतिम दलील में अभियोजन पक्ष ने एटीएस जांच का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि आरोपी पुरोहित कश्मीर में अपनी तैनाती पूरी करने के बाद वहां से आरडीएक्स अपने साथ लाया था और उसे अपने घर में रखा था. 

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