NEET Paper Leak: पेपर लीक विवाद के बीच सरकार का बड़ा एक्शन, सुबोध कुमार को हटा कर प्रदीप सिंह को बनाया NTA का नया डीजी
NEET Paper Leak Row: NEET और यूजीसी नेट पेपर लीक मामले को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक सुबोध कुमार को पद से हटा दिया है. उनकी जगह आईएएस प्रदीप सिंह खरोला एनटीए का महानिदेशक नियुक्त किया गया है.
दरअसल, प्रदीप सिंह खरोला को एनटीए महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. इसके अलावा वह भारत व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) के अध्यक्ष और एमडी की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं.
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर उठ रहे सवाल
NEET पेपर लीक और UGC-NET की परीक्षाओं के पेपर लीक मामले को लेकर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. ये मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. इसके साथ ही सरकार ने 21 जून को यूजीसी नेट की परीक्षा को स्थगित कर दिया था. हालांकि, अब कर्नाटक कैडर के प्रदीप सिंह खरोला को NTA के डीजी की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
Pradeep Singh Kharola has been given additional charge of the post of Director General, National Testing Agency (NTA), Ministry of Education. pic.twitter.com/owLKo75ApU
— ANI (@ANI) June 22, 2024
सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर
बता दें कि पेपर लीक विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर की गई है. इस याचिका में पांच मई को आयोजित नीट-यूजी में कथित अनियमितताओं की सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. इस परीक्षा में शामिल हुए 10 छात्रों की ओर से दायर याचिका में बिहार पुलिस को मामले की जांच में तेजी लाने और शीर्ष अदालत के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है.
याचिका में क्या कहा?
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता परीक्षा रद्द होने के परिणामों से पूरी तरह वाकिफ हैं, लेकिन उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है. याचिका के अनुसार, ”वर्ष 2024 की नीट-यूजी परीक्षा में कई अन्य अनियमितताएं थीं, खासकर उम्मीदवारों को समय पर प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने में अधिकारियों की ओर से घोर लापरवाही बरती गयी.”
24 लाख छात्र हुए थे शामिल
नीट परीक्षा पांच मई को 4,750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी और लगभग 24 लाख उम्मीदवार इसमें शामिल हुए थे. परीक्षा का रिजल्ट 14 जून को घोषित होने की उम्मीद थी, लेकिन इसे समय से पहले ही चार जून को घोषित कर दिया गया. क्योंकि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पहले पूरा हो गया था. अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला.