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NDTV Battleground Controversy Over Electoral Bonds Before Lok Sabha Elections What Experts Said – NDTV Battleground: लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड पर विवाद, एक्सपर्ट्स ने बताया कितना पड़ेगा असर?



नई दिल्ली:

देश में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) की तारीखों के ऐलान के बाद से चुनाव की तैयारी तेज हो गयी है. इस बीच चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त रवैया अपनाते हुए डेटा को सार्वजनिक करने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जानकारी साझा नहीं करना नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन है. NDTV के खास शो ‘Battleground’ में एक्सपर्ट पैनल से इसे लेकर सवाल पूछे गए. 

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चुनाव के दौरान अभी भी नकदी में ही होते हैं अधिक खर्च : अमिताभ तिवारी

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने एनडीटीवी के प्रधान संपादक संजय पुगलिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि चुनावी बॉन्ड का 50 प्रतिशत धन भाजपा को गया. शेष 50 प्रतिशत अन्य दलों को गया. लेकिन फिर भी मेरा मानना है कि नकदी में ही असली खेल होता है.  आज भी 90 प्रतिशत लेन-देन नकद में ही होता है. तिवारी ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत में कई बड़े आंदोलन हुए हैं. आजकल मतदाता बहुत कुछ जानते हैं. वे समाचार पढ़ते हैं, टेलीविजन देखते हैं.  वे सोच-समझकर निर्णय लेंगे. 

राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम ने कहा कि चुनावी बॉन्ड के मुद्दे को “भ्रष्टाचार” के रूप में लेबल किया जाएगा या नहीं, यह आने वाले समय में पता चलेगा. प्रियम ने कहा, “मतदाताओं का फैसला आएगा इस मुद्दे पर कि क्या इसे भ्रष्टाचार कहा जाएगा? यह देखा जाना बाकी है. 

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकारा

गौरतलब है कि चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भी सुनवाई हुई. इस सुनवाई दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से कहा है कि हम जो जानकारी आपसे चाहते हैं वो आप अभी तक नहीं दे पाएं है. हमने आपसे जो भी जानकारी मांगी है उसे देने के लिए आप बाध्य हैं. और आपको हर जानकारी विस्तार से देनी होगी. कोर्ट ने आगे कहा है कि SBI को बॉन्ड नंबर देना होगा. साथ ही बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी भी कोर्ट को देनी होगी. कोर्ट ने आगे कहा कि SBI हलफनामा देकर बताए कि उसने कोई जानकारी नहीं छिपाई है. इसपर SBI ने कहा है कि हम चुनावी बॉन्ड नंबर देंगे.

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI)  ने कहा कि हम चाहते हैं कि चुनावी बॉन्ड से संबंधित सभी जानकारी का खुलासा किया जाए जो आपके पास है. जबकि SBI का रवैया ऐसा है कि अदालत बताए कि किस किस का खुलासा करना है. 

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