Sports

NDTV महाकुंभ संवाद : महाकुंभ के महामैनेजमेंट से लेकर अखिलेश की डुबकी तक CM योगी के इंटरव्यू की 7 बड़ी बातें



लखनऊ:

महाकुंभ संवाद कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया से खास बातचीत में कहा कि महाकुंभ सनातन धर्म का महापर्व है.  सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म है. दुनिया के लिए 45 दिनों का यह महाकुंभ आयोजन दुनिया के लिए अकल्पनीय और आने वाली पीढ़ियो के लिए अविश्वनीय है. अभी तक 12 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज की त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पुण्य के भागीदार बने हैं.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, ”महाकुंभ की सटीक रिपोर्टिंग के लिए एनडीटीवी को ह्रदय से धन्यवाद देता हूं. एनडीटीवी के जितने भी दर्शक हैं उन सबका अभिनंदन करता हूं. भारत के सनातन धर्म की आस्था और श्रद्धा के प्रतीक इस महा आयोजन को, उसके अनुरूप एक सटीक रिपोर्टिंग मीडिया के द्वारा जनता-जनार्दन तक पहुंचाने का कार्य हो रहा है. यह भारत की ताकत का और आस्था की ताकत का अहसास कराने वाला एक ऐसा आयोजन है जो दुनिया के लिए अकल्पनीय है और वर्तमान पीढ़ी के लिए अविस्मरणीय भी है.” 

उन्होंने कहा कि, ”13 जनवरी से 26 फरवरी के बीच 45 दिनों के अंदर इस सदी का यह महाकुंभ आने वाली पीढ़ियों के लिए अविस्मरणीय होगा. इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी ने जो विजन दिया था उसको पूरी प्रतिबद्धता के साथ जमीना धरातल पर उतारकर आज व्यवस्थाएं की गई हैं. मुझे प्रसन्नता है कि अब तक 12 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पूज्य संतों के सानिध्य में मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की पावन त्रिवेणी में डुबकी लगाकर पुण्य के भागीदार बने हैं. एकता का संदेश भी पूरे देश में लेकर गए हैं. मुझे लगता है कि जहां आस्था है वहां सर्वांगीण विकास की आधारशिला उसकी तह में स्वयं छुपी हुई है.”

Latest and Breaking News on NDTV

सनातन धर्म मानव मात्र का धर्म

महाकुंभ को लेकर एक नई बात, नई ध्वनि सुनने में आई है. इस बार आपके जो शब्द हैं वह हैं भारत की सभ्यता.. आपने सनातन परंपरा की बात कही है. आपने कहा है कि कुंभ किसा एक पंथ, एक जाति और एक संप्रदाय तक सीमित नहीं है. लोगों को लगता है कि आपके नरेशन में एक नया फर्क है और आप शब्दों को बहुत अलग तरीके से सामने रख रहे हैं. क्या यह रीडिंग सही है?   

इस सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, ”देखिए मैं पहले भी यही शब्द रखता था. अब जिसकी समझ न हो, उसके लिए मैं कहां से दोषी हूं. मैं तो पहले भी आज भी यही मानता हूं कि सनातन धर्म भारत का राष्ट्रीय धर्म है, सनातन धर्म मानव मात्र का धर्म है. उपासना विधियां अलग-अलग हो सकती हैं, पंथ-संप्रदाय अलग-अलग हो सकते हैं, जाति अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन धर्म एक है और वह धर्म सनातन धर्म है. कुंभ उस सनातन धर्म का एक महापर्व है.” 

चुनौतियों को ध्यान में रखकर की गईं व्यवस्थाएं

उन्होंने कहा कि, ”हमारे जितने भी पर्व हैं, कुंभ का महत्व उसमें अलग है. डबल इंजन की भारतीय जनता पार्टी की जो सरकार है, इसको पहली बार अवसर मिला कि वह कुंभ के आयोजन से जुड़े. हमने प्रयागराज में कुंभ के आयोजन को उसी रूप में आयोजित करने का प्रयास किया. उससे जुड़े डॉक्यूमेंट और मीडिया से जुड़ी तमाम रिपोर्ट हमने निकाली थीं. इसका अध्ययन करने के लिए टीम को लगाया गया. भारत के इस महा आयोजन के प्रति आज की पीढ़ी क्या सोचती है…दुनिया क्या सोचती है? हम भौंचक्के… दुनिया की रिपोर्टिंग कुंभ के बारे में क्या होती थी..कोई कहता कुंभ जाति भेद को बढ़ावा देता है, कोई कहता कि यहां पर लिंग भेद होता है..कोई कहता कि यहां तमाम प्रकार की सामाजिक बुराईयों को आगे बढ़ाया जाता है..कोई यहां की स्वच्छता पर टिप्पणी करता था. अलग-अलग प्रकार की टिप्पणियां हमें सुनने को मिलती थीं.” 

Latest and Breaking News on NDTV

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि, ”हमें 2019 में जब इस आयोजन से जुड़ने का अवसर मिला, तो इन चुनौतियों को ध्यान में रखकर उसी प्रकार की व्यवस्था हमारी टीम ने उस समय तय की थी. कुंभ का इन्फ्रास्ट्रक्चर उस महा आयोजन के अनुरूप होना चाहिए. एक आयोजन, सिर्फ आयोजन नहीं होता, वह उस सिटी का एक सस्टेनेबल डेवलपमेंट के प्लान को भी आगे बढ़ाने का, वहां के इन्फ्रास्ट्रक्चर को, वहां की कनेक्टिविटी को.. सारी चीजों को व्यवस्थित रूप से आगे बढ़ाने का अवसर भी होता है. हमें उन मुद्दों पर ध्यान देना होगा जो अक्सर हमारी चूक के कारण हैं, मीडिया के और विरोधियों के आकर्षण के केंद्र बनते हैं. जैसे गंदगी, भगदड़, नदी की अविरलता और निर्मलता पर उठने वाले प्रश्न हैं…ट्रैफिक है…पार्किंग है..श्रद्धालुओं को बहुत लंबी दूरी तय न करनी पड़े, इन सब बातों को लेकर, इनको ध्यान में रखकर मेला क्षेत्र का विस्तार किया गया.” 

प्रयागराज के व्यवस्थित विकास की कार्ययोजना आगे बढ़ी

उन्होंने कहा कि, ”प्रयागराज सिटी के व्यवस्थित विकास की कार्ययोजना को आगे बढ़ाया गया. वहां की रोडों को, रेलवे की कनेक्टिविटी को, एयर कनेक्टिविटी को… अनुमान लगाईए हजारों वर्ष पहले मर्यादा पुरषोत्तम प्रभु श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद उस वक्त पुष्पक विमान से प्रयागराज में महर्षि भारद्वाज के दर्शन करने के लिए उतरे थे. उन हजारों वर्ष में देश एक सिविल टर्मिनल प्रयागराज को नहीं दे पाया. प्रयागराज में 2019 में पहली बार सिविल टर्मिनल बना. उसे भी मात्र 11 महीनों के अंदर बनाकर तैयार किया गया. वहां की लगभग डेढ़ सौ सड़कों को सिंगल लेन से डबल लेन, डबल लेन से फोर लेन में बदलने का काम हुआ. वहां फ्लाईओवर कैसे होना चाहिए… अंडरपास सिंगल लेन के बने हुए थे…उन्हें डबल लेने के कैसे बनाए जाएं..नदी की अविरलता और निर्मलता को बनाए रखना है..क्योंकि सारा प्राण तो उसमें है, श्रद्धालु उसी के लिए आएगा. इसके लिए टीम ने काम किया.” 

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, ”पहले शौचालय ऐसे बनाए जाते थे जिसमें शीट को बालू में दबा दिया जाता था. पूरा का पूरा सीवर बहकर नदी में जाता था. उसी में लोग स्नान करते थे. पूरे में बदबू रहती थी.   आपने 2019 में देखा होगा और 2025 में भी देख रहे हैं, कहीं गंदगी नहीं है. जीरो लिक्विड डिस्चार्ज है. नदी अविरल भी है, निर्मल भी है. मेले को विस्तार दिया गया है. इस वर्ष भी हम लोगों ने 14 फ्लाईओवर और अंडरपास बनाए हैं. सिविल टर्मिनल का विस्तार किया है.” 

‘त्रिवेणी से संदेश, एकता से अखंड रहेगा यह देश’

उन्होंने कहा कि, ”जो सनातन धर्म पर टिप्पणी करते थे, उनसे कहा, देखो आपके बगल में कौन स्नान कर रहा है…आप स्वयं नहीं जानते हैं किस जाति का है, किस मत का है, किस मजहब का है, क्यों टिप्पणी करते हो. अपने मुंह को खराब क्यों करते हो. यह तो महापर्व है, महा आयोजन है, जाति भेद से हटकर है. न जाति का भेद है न पंथ का भेद है, न सम्प्रदाय का भेद है, न भाषा का भेद है. 13 और 15 जनवरी को लगभग 6 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया. वे संदेश लेकर गए… ‘त्रिवेणी से संदेश, एकता से अखंड रहेगा यह देश.’ एकता का संदेश त्रिवेणी ने दे दिया. न जाति का भेद, न छुआछूत का भेद न पंथ का भेद, न भाषा का भेद.. और हम उसी पर प्रहार कर रहे थे. जो हमें बदनाम करते थे, सनातन धर्म को बदनाम करते थे वे आकर इन आयोजनों से जुड़कर देखें.  दूर से न देखें.. धृतराष्ट्र न बनो..किसी संजय की आंखों से मत देखो… स्वयं आकर इसका दर्शन करो. दर्शन करोगे तो पुण्य के भागीदार बनोगे. मुझे खुशी है कि विदेशी श्रद्धालु भी आए और उन्होंने इस पर अच्छे कमेंट किए.”   

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, ”मीडिया की सकारात्मक और सटीक रिपोर्टिंग का ही परिणाम है कि भारत की 140 करोड़ आबादी में हर दृष्टि महाकुंभ पर टिकी है. हर रास्ता प्रयागराज की ओर जा रहा है. स्नान करने वालों की एक करोड़ लोअर लिमिट है प्रयागराज में आज के दिन तक. प्रयागराज में कोई घर ऐसा नहीं है जहां नए बिस्तर न खरीदे गए हों, मेहमानों के आगमन को ध्यान में रखते हुए.” 

Latest and Breaking News on NDTV

कौतूहल का विषय है महाकुंभ का आयोजन

हम लोग बहुत विस्मित हैं, यूपी पुलिस का सहयोगात्मक रवैया और इतने बड़े आयोजन का मैनेजमेंट समझ में नहीं आता. वह कौन से खास एरिया हैं जिन पर आप ध्यान रखते हैं, कि दुनिया में कोई मिसाल ही नहीं है इस तरह के आयोजन की?    

संजय पुगलिया के इस सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, ”जैसी शासन की दृष्टि होगी, सुरक्षा बल और पूरी मशीनरी उसके अनुरूप कार्य करती है. हम प्रभु राम के भक्त हैं. उन्होंने एक बात कही थी – सज्जनों को संरक्षण देना और दुर्जनों का संहार करना. यूपी पुलिस शासन की इस मंशा के अनुरूप ही कार्य करती है. हर सज्जन को सुरक्षा प्रदान करना है. जो कानून को नहीं मानता उसको कानून के दायरे में लाकर सही रास्ते पर लेकर जाना है. पुलिस के बिहेवियर को लेकर लोगों ने प्रशंसा की है.वहां पर स्वच्छता कर्मियों के काम की, नाविकों के काम की, कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रयासों की सबने प्रशंसा की है. दुनिया में इतना बड़ा आयोजन हो, यह अद्भुत है. लोगों के लिए कौतूहल का विषय है. यह न केवल क्राउड मैनेजमेंट का बल्कि सिक्यूरिटी का भी एक बहुत बड़ा, एक नई दिशा देने वाला ईवेंट है.”

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के राम मंदिर नहीं जाने और कुंभ स्नान कर लेने से जुड़े सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, यह अवसर है, जो भी प्रयागराज जाएगा पुण्य का भागीदार बनेगा. जो नहीं भी जा रहा है तो कम से कम अच्छी सोच तो रख रहा है. मुझे लगता है कि प्रयागराज तो सबका है, सबको आना चाहिए, डुबकी लगाना चाहिए. 

महाकुंभ भारत का आयोजन, सबको आमंत्रित किया गया

सवाल कि आपने सभी को बुलाया है, कुछ को आपने बाकायदा निमंत्रण देकर बुलाया और कुछ लोगों को व्यक्तिगत रूप से आपने नहीं भी बुलाया, पर मुख्यमंत्री ने कहा कि, ”हमने आमंत्रण सबको दिया है. यह आयोजन भारत का आयोजन है. यह हमारा सौभाग्य है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यह आयोजन हो रहा है. तो स्वाभाविक रूप से प्रयागराज इस आयोजन का होस्ट है. जो लोग भेदभाव करने वाले हैं, जिनकी दृष्टि हमेशा बांटने में लगी रहती है, वे इस प्रकार की टिप्पणी करते हैं. ये वही लोग हैं जो हर सकारात्मक पहल पर नकारात्मक टिप्पणी के माध्यम से बैरियर बनने का काम करते हैं. याद कीजिए, कोविड महामारी के दौरान बहुत सारे मॉडल उत्तर प्रदेश ने भी प्रस्तुत किए थे. प्रारंभिक समय में सभी नेता गण नकारात्मक टिप्पणी करने के लिए प्रस्तुत हुए थे. ये लोग प्रारंभिक दो फेज में गायब थे. जब प्रबंधन के बेहतर प्रयास आगे बढ़े और वैक्सीनेशन प्रारंभ हुआ तो इन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया. लोगों को वैक्सीनेशन के खिलाफ गुमराह करना प्रारंभ कर दिया. याद कीजिए, जब अयोध्या में राम लला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी थी तब भी सबको आमंत्रित किया गया था. वे लोग तब भी नहीं गए. तब भी नकारात्मक टिप्पणियां करते रहे. प्रयागराज के लिए भी सबका आह्वान किया गया था. जो जाएगा पुण्य का भागी बनेगा. सनातन धर्म किसी पर थोपता नहीं है.”

Latest and Breaking News on NDTV

संभल श्री हरि विष्णु के दसवें अवतार की भूमि

संभल को लेकर पूछे गए सवाल पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, ”संभल एक सच्चाई है. संभल श्री हरि विष्णु के दसवें अवतार की भूमि है, पुराणों में भी इस बात का उल्लेख है. इसीलिए इसकी सच्चाई को पुराणों के माध्यम से ही देखना चाहिए.”

मुख्यमंत्री ने कहा कि, ”अबु फजल ने अपनी किताब आइन-ए-अकबरी में खुद ये बात कही है कि मीर बाकी ने 1526 में श्री हरि विष्णु का मंदिर तोड़कर एक मस्जिदनुमा ढांचा खड़ा किया. उससे पहले जो पुराणों का इतिहास है 3500 से लेकर 5000 साल के बीच का जो कालखंड है, पहला महापुराण श्रीमदभागवत महापुराण है. इसके बाद 18 महापुराण लिखे गए. कई पुराणों में इस बात का उल्लेख है कि कब श्री विष्णु का दसवां अवतार होना है, उसकी भूमि संभल है.”

उन्होंने कहा कि, ”मैं पूछना चाहता हूं मीर बाकी ने 1526 में संभल में और 1528 में अयोध्या में जो राम जन्मभूमि है, वहां मंदिर को क्यों तोड़ा? इसका मतलब है कि 16वीं सदी का वो सबसे विख्यात मंदिरों में से एक था, उसमें लोगों की आस्था थी. वहां पर जो पुरातात्विक अवशेष मिल रहे हैं, जो प्रमाण मिल रहे हैं, वो ये साबित करते हैं कि वहां किसी मंदिर को तोड़कर नया ढांचा बनाया गया.” मुख्यमंत्री ने कहा कि, ”इस्लाम के उदय का 1400 सालों का इतिहास है, वहीं पुराणों का इतिहास उससे भी 2000 साल पुराना है.”




Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *