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Nainital Effect Global Warming Visible Also Continuously Decreasing Number Tourists Ann


Uttarakhand Weather News: उत्तराखंड में इन दिनों मसूरी औली उत्तरकाशी में जहां लगातार बर्फ गिर रही है तो वहीं नैनीताल की अगर बात करें तो नैनीताल पिछले 4 साल से बर्फ के लिए तरस रहा है. नैनीताल में लगातार पिछले 4 साल से बारिश और बर्फ कम होती हुई नजर आ रही है. यह चिंता वाली बात है क्योंकि यहां का पर्यटन बर्फ और बारिश की वजह से ही अधिकांश चलता है. नैनीताल की अगर बात करें तो 2023 में यहां बर्फबारी नहीं हो पाई थी. बारिश भी केवल मामूली सी हुई थी. यही वजह के इस बार भी सर्दियों में नैनीताल का पर्यटन कारोबार ठंडा पड़ा है. जितने पर्यटक पहले नैनीताल आते थे. उनमें लगातार कमी देखने को मिल रही है. इसकी एक वजह यहां का मौसम भी है. जो लगातार बदलता जा रहा है.

नैनीताल अपनी खूबसूरत वीडियो और शानदार मौसम के लिए जाना जाता है लेकिन लगातार ग्लोबल वार्मिंग का असर नैनीताल के मौसम पर होने से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी तेजी से कमी आई है तो वहीं नैनीताल के मौसम में लगातार होता बदलाव यहां के लोगों को भी रास नहीं आ रहा है पिछले 4 साल से कम बारिश कम बर्फबारी इस बात का सबूत है कि ग्लोबल वार्मिंग का असर नैनीताल जैसे खूबसूरत जगह पर भी होने लगा है

नैनीताल के मौसम की अगर बात करें तो सर्दियों के मौसम में यहां हर साल बारिश में कमी देखने को मिली है.
किस साल कितनी हुई बारिश
2020 में 155 एमएम
2021 में 144 एमएम
2022 में 110 एमएम
2023 में  25 एमएम

वही नैनीताल में बर्फ की बात करे तो साल दर साल इसमें भी कमी देखने को मिली है, इसका काफी असर देखने को मिला है.
किस साल कितनी हुई बर्फबारी
2020 में 05 एमएम
2021 में 03 एमएम
2022 में 02 एमएम
2023 में 00 एमएम

पर्यटकों की संख्या हो रही कम
नैनीताल के पर्यटन की अगर बात करें तो यहां के हालात पहले जैसे नहीं रहे हैं. यहां पर्यटकों की संख्या लगातार कम होती हुई दिखाई दे रही है. तो वही नैनीताल की अगर मौसम की बात करें तो देश और दुनिया की तरह ग्लोबल वार्मिंग की वजह से यह तेजी से प्रभावित हो रहा है. यहां के मौसम में लगातार बदलाव पर्यटन को भी धीरे-धीरे खाता जा रहा है. आर्यभट्ट परीक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान यानी एरीज के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र सिंह कहते हैं. बीते सालों में ग्लोबल वार्मिंग ने निचले वायुमंडल को प्रभावित किया है. इससे प्रभावित होने से नैनीताल का मौसम भी प्रभावित हुआ है. निचला वायुमंडल जमीन से 5 से 7 किलोमीटर ऊपर तक होता है. इसमें पाई जाने वाली गैसें ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावित हो रही है. और शायद यही कारण है, कि पश्चिमी विक्षोभ से बराबरी और बारिश नहीं हो रही है, नैनीताल इसका बड़ा उदाहरण है.

आंकड़ों में लगातार बारिश और बर्फ कम होती हुई नजर आ रही है यह साफ तौर पर देखा जा सकता है, कि नैनीताल के मौसम पर ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा असर होता हुआ दिखाई दे रहा है. इससे नैनीताल के पर्यटन कारोबार में भी तेजी से कमी आ रही है. पर्यटक अब दूसरी जगह का रुख कर रहे हैं. जिसमें देहरादून का चकराता धनोल्टी और जोशीमठ तथा औली शामिल है. सर्दियों के मौसम में ऐसे इलाकों में पर्यटक जाना पसंद कर रहे हैं. जबकि नैनीताल से पर्यटकों का मोह लगातार भंग होता जा रहा है.

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