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Nagpur Violence: | Nagpur Violence:


Nagpur Violence: महाराष्ट्र के नागपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. इस मामले में अब तक 47 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. विवाद की जड़ औरंगजेब की मजार हटाने की मांग बताई जा रही है, जिसके बाद दो गुटों के बीच झड़प हुई.

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस हिंसा के लिए समाजवादी पार्टी (अबू आजमी), कांग्रेस (इमरान मसूद) और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को जिम्मेदार ठहराया.

अमित मालवीय का विपक्ष पर आरोप
उन्होंने एक्स पर लिखा, “नागपुर में हुए सांप्रदायिक दंगों के लिए समाजवादी पार्टी के अबू आज़मी, कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद, और मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोग ज़िम्मेदार हैं, जो राजनीतिक लाभ के लिए एक क्रूर मुगल शासक का महिमामंडन करते हैं—वही शासक जिसने लाखों हिंदुओं का कत्लेआम किया और हजारों मंदिरों को ध्वस्त कर दिया. तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले यही लोग देश के सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. औरंगज़ेब और अन्य क्रूर शासकों का आज के भारत में कोई स्थान नहीं होना चाहिए. उनका नाम केवल इतिहास में आक्रांताओं की श्रेणी में दर्ज होना चाहिए, ताकि उनके रक्तरंजित शासन का सच लोगों के सामने आ सके.

उन्होंने आगे लिखा, “औरंगजब की मजार को हटाने की मांग आज के मुस्लिम समाज का अपमान कैसे हो सकती है? कौन सा भारतीय मुसलमान हिंदुओं के दुश्मन के लिए आंसू बहाएगा? ऐतिहासिक दस्तावेज़ बताते हैं कि वह सिर्फ एक अत्याचारी था. ऐसे अधर्मियों को हमारी पवित्र भूमि का एक इंच भी मिलना आत्मसम्मान से भरे किसी भी समाज के लिए अस्वीकार्य होना चाहिए. हिंदुओं की आस्थाओं के प्रति सम्मान की मांग करने पर उन्हें अपराधबोध महसूस कराना बंद कीजिए”

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का पलटवार
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि इस हिंसा के लिए सरकार जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, “सरकार के संरक्षण में लोगों को आपस में लड़ाया जा रहा है, मुख्यमंत्री को उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जो इस हिंसा के पीछे हैं, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, अतीत के आधार पर नई कहानियां गढ़ी जा रही हैं, जो देश के हित में नहीं हैं.”

क्या है नागपुर हिंसा का मामला?
नागपुर में औरंगजेब की मजार को हटाने की मांग के बाद दो गुटों के बीच झड़प हो गई, जिससे हिंसा भड़क उठी. पुलिस ने अब तक 47 लोगों को गिरफ्तार किया है.
मामले की जांच जारी है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

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