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Myanmar Earthquake: म्यांमार में आए भीषण भूकंप से हुई मौतों और तबाही के बीच भारत ने शनिवार (29 मार्च) को 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई. भारत ने आपातकालीन मिशन ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत बचाव दलों के साथ हवाई और समुद्री मार्ग से और आपूर्ति भेजी है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने म्यांमार के सैन्य जनरल मिन आंग ह्लाइंग से बात की और कहा कि भारत उनके देश में आए भीषण भूकंप से मची तबाही से निपटने के प्रयासों में उनके साथ एकजुटता से खड़ा है. भारत ने म्यांमार के लिए अपने बचाव अभियान को ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ नाम दिया है. अधिकारियों ने बताया कि भारत स्थानीय प्राधिकारों की मदद के लिए म्यांमार में बचाव कर्मियों को पहुंचाने वाला पहला देश बन गया है.
भारत की ओर से सैन्य परिवहन विमान में 15 टन आवश्यक राहत सामग्री यांगून पहुंचाने के कुछ घंटों बाद, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के दो C-130जे विमान नेपीता में उतरे, जिनमें राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कुल 80 कर्मी तथा कुछ और सहायता सामग्री थी.
नेपाल, तुर्किए के बाद अब म्यांमार में भारत ने की मदद
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वायुसेना के दो और C-17 सैन्य विमान, 60 पैरा-फील्ड एम्बुलेंस लेकर, शीघ्र ही म्यांमार में उतरेंगे. भारत ने इससे पहले दो मौकों 2015 के नेपाल भूकंप और 2023 के तुर्किये भूकंप के समय विदेश में एनडीआरएफ की तैनाती की थी. सूत्रों ने बताया कि हवाई उड़ानों और नौसेना के जहाजों द्वारा भेजी गई कुल राहत सामग्री 137 टन है. उन्होंने कहा कि आवश्यकता के अनुसार और सामग्री भेजी जाएगी.
INS सतपुड़ा और INS सावित्री 40 टन सामान लेकर रवाना
मोदी ने म्यांमार के सैन्य जनरल से फोन पर बातचीत के बाद ‘एक्स’ पर लिखा, ‘विनाशकारी भूकंप में लोगों की मौत होने पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की. भारत एक निकट मित्र और एक पड़ोसी के रूप में इस कठिन समय में म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है.’ पीएम ने कहा कि भारत ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत प्रभावित क्षेत्रों में आपदा राहत सामग्री, मानवीय सहायता, तलाश एवं बचाव दल भेज रहा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि भारतीय नौसैन्य जहाज आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री 40 टन मानवीय सहायता लेकर यांगून बंदरगाह गए हैं. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस मानवीय सहायता अभियान के तहत दो और भारतीय नौसैनिक जहाज वहां पहुंचेंगे.
म्यांमार में क्या-क्या भेजा गया?
एस जयशंकर ने कहा कि 118 सदस्यीय भारतीय सेना फील्ड अस्पताल इकाई भी म्यांमार के लोगों को प्राथमिक चिकित्सा और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में सहायता के लिए आगरा से मांडले के लिए रवाना हो रही है. सुबह भारतीय वायुसेना के C-130 सैन्य विमान ने म्यांमार के यांगून शहर में 15 टन राहत सामग्री पहुंचाई. अधिकारियों ने बताया कि तंबू, स्लीपिंग बैग, कंबल, तैयार भोजन, जल शुद्धिकरण उपकरण, सौर लैंप, जनरेटर सेट और आवश्यक दवाओं समेत राहत सामग्री म्यांमार भेजी गई. भारत द्वारा राहत सामग्री की पहली खेप भेजे जाने के बाद जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू हो गया है. भारत से मानवीय सहायता की पहली खेप यांगून हवाई अड्डे पर पहुंच गई है.’ म्यांमार में भारतीय दूत अभय ठाकुर ने राहत सामग्री यांगून के मुख्यमंत्री यू सोई थीन को सौंपी.
म्यांमार-थाईलैंड में आया था 7.7 तीव्रता का भूकंप
म्यांमार और उसके पड़ोसी देश थाईलैंड में शुक्रवार (28 मार्च) को 7.7 तीव्रता का भीषण भूकंप आने से इमारतें, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए. म्यांमार की सैन्य नेतृत्व वाली सरकार के अनुसार, शनिवार को भूकंप में मरने वालों की संख्या 1,644 हो गई है. घायलों की संख्या 3,408 है, जबकि भूकंप के बाद 139 लोग लापता हैं.
म्यांमार की मदद करने वाला पहला देश है भारत
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत ने भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए ‘‘सबसे पहले कदम उठाने वाले’’ देश के रूप में काम किया है. जायसवाल ने कहा, ‘ब्रह्मा सृष्टि के रचयिता हैं. ऐसे समय में जब हम म्यांमार सरकार और वहां के लोगों को तबाही के बाद उनके देश के पुनर्निर्माण में मदद का हाथ बढ़ा रहे हैं, इस अभियान का यह खास नाम विशेष महत्व रखता है.’
एनडीआरएफ की 8वीं बटालियन म्यांमार भेजी गई
गाजियाबाद में स्थित 8वीं एनडीआरएफ बटालियन के कमांडेंट पी के तिवारी यूएसएआर (शहरी खोज एवं बचाव) टीम का नेतृत्व कर रहे हैं. एक अधिकारी ने बताया कि टीम खोजी कुत्तों को भी साथ ले जा रही है. उन्होंने कहा कि यह अभियान अंतरराष्ट्रीय खोज और बचाव सलाहकार समूह के मानदंडों के अनुसार किया जा रहा है. म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास ने कहा कि वह भारत से सहायता और राहत सामग्री की शीघ्र आपूर्ति का समन्वय कर रहा है.
नेपीता का एयरपोर्ट अबतक बंद
दिल्ली में भारतीय अधिकारियों ने बताया कि पहला C-130 विमान शाम को नेपीता में उतरा और एनडीआरएफ टीम का स्वागत भारतीय राजदूत और म्यांमार विदेश मंत्रालय में राजदूत माउंग माउंग लिन ने किया. उन्होंने कहा कि भारत म्यांमार के नेपीता में बचाव कर्मियों को लाने वाला पहला देश है. उन्होंने यह भी कहा कि भूकंप के बाद म्यांमार की राजधानी का हवाई अड्डा अभी भी पूरी तरह से चालू नहीं हो पाया है.