Muslim Voter In India Bjp Big Win Loksabha Election 2024
Lok Sabha Election 2024: बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षियों ने एकजुट होकर इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूसिव एलायंस (INDIA) बनाया है. वहीं बीजेपी ने इसे काउंटर करने के लिए नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) के कुनबे में कुछ और दलों को जोड़कर उसकी संख्या खुद को मिलाकर 39 कर ली है. विपक्षियों के पास बीजेपी के मात देने के लिए सबसे बड़ा हथियार मुस्लिम वोट बैंक ही है. मगर वह भी अब अधिक कारगर साबित नहीं हो पा रहा है.
वहीं बीजेपी हिंदू वोट बैंक के साथ-साथ अपने मुस्लिम वोट बैंक को भी धीरे-धीरे बढ़ा रही है. ऐसे में बीजेपी के दोनों हाथों में जीत का लड्डू नजर आ रहा है. अगर 18वीं लोकसभा के लिए 2024 में होने वाले आम चुनाव में मुस्लिम वोट बैंक बंटता है तो भी बीजेपी की जीत तय हो सकती है.
वहीं अगर मुस्लिम वोट एकजुट होगा तो भी सत्ताधारी पार्टी की जीत और बड़ी हो सकती है. बीजेपी हिंदू वोट अपने झंडे तले लाने के साथ ही ओबीसी वोट पर भी पकड़ बनाए हुए है. आखिर क्या है बीजेपी की जीत का गणित?
इसको जानने के लिए पिछले चुनावों और मुस्लिमों के वोट प्रतिशत पर नजर दौड़ानी होगी. उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने मुस्लिम बाहुल्य सीटें होने के बावजूद जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया. आजम खान के गढ़ रामपुर में 50 परसेंट से अधिक मुस्लिम हैं. इसके बावजूद बीजेपी ने जीत दर्ज की.
वहीं आजमगढ़ जो कभी मुलायम सिंह गढ़ था, वहां मुस्लिम-यादव समीकरण 40 परसेंट से अधिक होने के बाद भी बीजेपी ने जीत हासिल करके यह साबित कर दिया मुस्लिम वोट एकजुट होने का भी उसे ही फायदा मिलता है.
1998 से बढ़ रहा है बीजेपी का मुस्लिम वोट
लोकनीति और CSDS के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो भारतीय जनता पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक बढ़ने की शुरुआत 1998 से शुरू हो गई थी. जहां 1996 में बीजेपी को मात्र 2 परसेंट मुस्लिम वोट मिला था. वहीं 1998 में वह तीन गुना यानी 6 परसेंट पहुंच गया था. इसके बाद 1999 और 2004 में एक फीसद बढ़कर यह 7 परसेंट तक पहुंच गया था.
15वीं लोकसभा में यह घटकर 4 परसेंट पर आ गया था. इसके बाद पीएम उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरने वाले नरेंद्र मोदी जिनकी छवि विपक्ष ने मुस्लिम विरोधी की बना रखी थी के आने के बावजूद 16वीं लोकसभा यानी 2014 में बीजेपी को मुस्लिमों का 9 परसेंट वोट मिला. यह पिछली बार की तुलना में दोगुना से अधिक रहा. मुस्लिम वोटरों की वृद्धि 17वीं लोकसभा में भी जारी रही.
कांग्रेस के लिए मुस्लिम वोट स्थिर रहा
मुस्लिम वोटरों में कांग्रेस का ग्राफ 15वीं और 16वीं लोकसभा में स्थिर रहा. 2009 और 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस का मुस्लिम वोट एकसमान 38 परसेंट ही रहा. हालांकि इसके पहले 1998 में 32 परसेंट, 1999 में सर्वाधिक 40 फीसद और 2004 में गिरकर 36 परसेंट पर आ गया था. कांग्रेस को उन राज्यों में मुस्लिम वोट बैंक का अधिक नुकसान उठाना पड़ता है जहां तथाकथित क्षेत्रीय सेक्युलर पार्टियां प्रभावशाली होती हैं.
कांग्रेस को इन राज्यों में मिलते हैं सर्वाधिक मुस्लिम वोट
अगर 16वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव के बाद मुस्लिम वोटों पर नजर डाली जाए तो कांग्रेस को उन राज्यों में सर्वाधिक मुस्लिम वोट मिलते हैं जहां उसकी सीधी बीजेपी से टक्कर होती है. उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस को सर्वाधिक 65 परसेंट वोट मिले. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को 19 फीसद वोट मिले थे. बिहार में महागठबंधन ने 75 परसेंट मुस्लिम वोट हासिल किए थे.
कर्नाटक और महाराष्ट में भी कांग्रेस की मुस्लिम वोट बैंक पर अच्छी पकड़ रही. इन दोनों जगह उसे 68-68 परसेंट वोट हासिल हुए थे. गुजरात में भी कांग्रेस की बीजेपी से सीधी टक्कर होती है. वहां कांग्रेस को 46 परसेंट वोट मिले थे. यहां बीजेपी को भी 26 परसेंट मुस्लिमों का वोट मिला था.
हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी (आप) के कारण नुकसान उठाना पड़ा था. तेलंगाना में भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा. भारतीय राष्ट्रीय समिति (बीआरएस), के चंद्रशेखर राव की पार्टी जो पहले टीआरएस थी और असुद्दीन ओवैसी की आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के रहते हुए भी कांग्रेस ने यहां सर्वाधिक 34 परसेंट वोट हासिल किए थे. हालांकि उसे वोटों तुलना में सीटें नहीं मिली थीं. वहीं टीआरएस को 33 परसेंट और ओवैसी की पार्टी को 22 परसेंट वोट मिले थे.
इन राज्यों में बंटता सर्वाधिक मुस्लिम वोट
उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आसाम, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना में मजबूत क्षेत्रीय पार्टियों के कारण मुस्लिम वोट एकतरफा कांग्रेस को नहीं मिल पाता. यहां पर मुस्लिम वोट, धार्मिक, भाषा, क्षेत्रीय आधार पर बंट जाते हैं. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव मुस्लिमों के नेता हैं. बिहार में आरजेडी के नेता लालू प्रसाद यादवु मुस्लिमों के मसीहा हैं.
पश्चिम बंगाल में टीएमसी की ममता बनर्जी, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर सीपी के वाईएस जगन मोहन रेड्डी, तमिलनाडु में एमके स्टालिन की पार्टी डीएमके और जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस दोनों ही मुस्लिम वोट कांग्रेस से बांटने का काम करती हैं.