MP News: फैकल्टी के डुप्लिकेशन वाले नर्सिंग कॉलेजों पर गिरेगी गाज, हाईकोर्ट ने रिटायर्ड जज को सौंपी जांच
<p style="text-align: justify;"><strong>Jabalpur News:</strong> मध्य प्रदेश के बहुचर्चित नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े से जुड़े मामले में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है. यह कमेटी उन कॉलेजों के संबंध में कार्रवाई के लिए अपनी सिफारिश देगी, जिनमें सीबीआई जांच में कमियां पाई गई थी. एमपी हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की विशेष खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि जो कॉलेज अयोग्य पाए गए हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए. </p>
<p style="text-align: justify;">कोर्ट ने तीन से अधिक फैकल्टी के डुप्लिकेशन होने पर प्रति फैकल्टी एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में अगली सुनवाई 22 फरवरी 2024 को होगी. यहां बताते चले कि लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता विशाल बघेल की नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े से जुड़ी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने विस्तृत आदेश जारी किया है. हाई कोर्ट ने जो कमेटी गठित की है, उसके चेयरमैन हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरके श्रीवास्तव होंगे. इसके अलावा आईएएस राधेश्याम जुलानिया और इंदिरा गांधी नेशनल ट्रायबल विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति इसके सदस्य होंगे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>झूठी रिपोर्ट देने वाले इंस्पेक्टर पर होगी कार्रवाई</strong><br />कोर्ट ने जांच कमेटी को सीबीआई जांच में कमियां पाये गये 74 कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई करने का दायित्व सौंपा है. इसके साथ ही कमियों में सुधार के लिए कॉलेजों को समय देना और की गई कमी पूर्ति की पुष्टि करना है. इस कमेटी का काम छात्रों को उपयुक्त पाये गये कालेजों में स्थानांतरित करने की योजना बनाना भी है. कमीपूर्ति नहीं करने वाले कॉलेजों को तत्काल बंद करने की अनुशंसा करने की जिम्मेदारी भी इसी कमेटी पर होगी. इसके अलावा कॉलेजों का निरीक्षण कर झूठी रिपोर्ट देने वाले इंस्पेक्टर्स के विरुद्ध कार्रवाई प्रस्तावित करना और नर्सिंग शिक्षा में सुधार हेतु नियमों, विनियमों और गुणवत्ता के संबंध में सुझाव देना भी इस कमेटी के जिम्मे सौंपा गया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये होगा जांच का प्रारूप</strong><br />हाई कोर्ट ने सीबीआई के लिए बचे हुए नर्सिंग कॉलेजों की जांच का प्रारूप भी तय किया है. सीबीआई को आवेदन फॉर्म में मान्यता प्राप्त करते समय दर्शाए गए भवन, पते, संसाधन, जियो टैगिंग और भवन किराये का है अथवा स्वयं का, इन सभी तथ्यों को सत्यापित करना होगा.उसके बाद निर्धारित प्रारूप में अपनी जांच रिपोर्ट 3 माह में सौंपनी होगी.</p>
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